संगरूर में नहीं जलेगा पराली का एक भी तिनका

संगरूर पराली कोई घास-फूस नहीं बल्कि पशुओं का वह चारा हैं जिससे न केवल पशुओं का पेट भरता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 07:01 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 06:14 AM (IST)
संगरूर में नहीं जलेगा पराली का एक भी तिनका
संगरूर में नहीं जलेगा पराली का एक भी तिनका

जागरण संवाददाता, संगरूर :

पराली कोई घास-फूस नहीं, बल्कि पशुओं का वह चारा हैं, जिससे न केवल पशुओं का पेट भरता है, बल्कि पशुओं को रोगों से भी मुक्ति दिलाता है। बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते हैं, जिन्हें गोशाला में रखने से पहले उनके चारे की चिता सरकार, प्रशासन व पशु पालकों को सताने लगती है, लेकिन वहीं दूरी तरफ पशुओं के चारे पराली को आग लगाकर न केवल पर्यावरण को प्रदूषित किया जा रहा है, बल्कि पशुओं को भी भूखे मरने को मजबूर किया जाता है। इसलिए धान की कटाई के बाद पराली को स्टोर करके इन्हें पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल करें, इससे बेसहारा पशुओं की समस्या का भी समाधान खुद ब खुद हो जाएगी। यह संदेश गोस्वामी अमृतानंद गोवर्धन ने संगरूर के नजदीकी अकाल कॉलेज कौंसिल मस्तुआना साहिब में साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम की प्रेरणा से स्थापित पहले पराली बैंक के उद्घाटन समागम को संबोधित करते हुए दिया।

गोस्वामी अमृतानंद ने संगरूर से पराली बैंक के प्रोजेक्ट का आरंभ करते हुए एलान किया कि वह संगरूर में पराली का एक भी तिनका नहीं जलने देंगे, लेकिन इसके लिए किसानों, संगठनों, प्रशासन व सरकार को साथ देना होगा। सरकार संगरूर जिले को 15 करोड़ रुपये मुहैया करवाए, ताकि यहां पराली की गांठे बनाने व गांठे विभिन्न राज्यों व गोशालाओं तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने अकाल कॉलेज कौंसिल को भरोसा दिलाया कि उनके पराली बैंक में जमा होने वाली पराली को वह उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में ले जाएंगे, जहां उनकी गोशालाओं में इसका चारे के तौर पर इस्तेमाल होगा। किसान व जमीन मालिक भी दें सहयोग

साइंटिफिक अवेयरनेस एंड सोशल वेलफेयर फोरम के प्रधान डॉ. एएस मान ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए किसानों व जमीन मालिकों की भी सहयोग की जरूरत है। एक एकड़ पराली के प्रबंधन पर 4200 रुपये तक खर्च आता है, जिसमें कुछ खर्च किसान व जमीन मालिक अपने स्तर पर सहन करें तथा बाकी पराली के खरीदार से वसूल किया जा सकता है। गोशालाओं को पराली पहुंचाएं। सभी सरकारी व प्राइवेट गोशालाओं के प्रबंधक पराली को चारे के तौर पर इस्तेमाल करें। जिले की 62 गोशालाओं में होगा पराली का इस्तेमाल

डीसी ने झनेड़ी की सरकारी गौशाला व संगरूर की अन्य 62 गोशालाओं में पराली बैंक स्थापित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। नजदीकी ब्लाकों से पराली की 50-50 ट्रालियां पराली बैंकों में भंडारण की जाएगी। इस पराली से पशुओं को आहार प्रदान किया जाएगा।

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