मानसून की दस्तक ने घग्गर किनारे बसें गांवों के किसान की बढ़ाई चिंता

मानसून का सीजन आ गया है और बरसात का दौर कभी भी आरंभ हो सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Jun 2020 03:44 PM (IST) Updated:Sun, 28 Jun 2020 06:56 PM (IST)
मानसून की दस्तक ने घग्गर किनारे बसें गांवों के किसान की  बढ़ाई चिंता
मानसून की दस्तक ने घग्गर किनारे बसें गांवों के किसान की बढ़ाई चिंता

मनदीप/अंकुर, मूनक (संगरूर) : मानसून का सीजन आ गया है और बरसात का दौर कभी भी आरंभ हो सकता है। लोग व किसान बेशक मानसून को लेकर बेहद उत्साहित हैं, लेकिन जिला संगरूर का एक इलाका ऐसा भी है, जहां किसानों के माथे पर मानसून के सीजन को लेकर चिता की लकीरें छाने लगी हैं। यह इलाका है घग्गर दरिया के किनारे बसा मूनक से खनौरी तक का इलाका। जहां गत वर्ष घग्गर के उफान ने दस हजार एकड़ से अधिक फसल को बर्बाद कर दिया था और दो दर्जन मकानों में दरारें पड़ गई थीं। बेशक सरकार ने प्रभावित किसानों व मकान मालिकों को मुआवजा देकर उनके आंसुओं को पोंछने का कार्य किया, लेकिन स्थायी हल न होने के कारण किसान बेहद चितित हैं, क्योंकि अभी तक भी प्रशासन घग्गर के किनारों की सफाई तक ही सीमित है। किनारों को मजबूत करने, पक्के किनारे बनाने के लिए सरकार बेहद सुस्त है। चूहे व सांप के बिल, कच्चे किनारों से पड़ती हैं दरारें

किसान चमकौर सिंह फूलद, सुरजन भैणी के किसान मेजर सिंह, राजविदर सिंह, बनारसी दास, गमजूर सिंह ने बताया कि घग्गर के किनारे कच्चे हैं, जिस कारण इन किनारों में चूहे व सांप बिल बना लेते हैं। घग्गर के सभी किनारे बिलों से भरे हुए हैं। बरसात के समय में जब घग्गर में पानी का स्तर बढ़ता है तो बिलों में पानी रिसने के कारण मिट्टी खिसक जाती है व किनारों में दरार पड़ जाती है। शिवालिक की पहाड़ियों से बहता तेज पानी किनारों को तोड़ देता है। आसपास के खेतों व गांवों में घग्गर का पानी मार करता है। सरकार दिखाएं गंभीरता, किसानों को बचाने का करें प्रयास : इलाके के किसान हरदीप सिंह, लाभ सिंह, हरदियाल सिंह भूंदड़भैणी ने कहा कि घग्गर दरिया में मानसून के दौरान हर वर्ष पानी बढ़ने के कारण किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं। आज तक घग्गर का स्थायी हल नहीं हो पाया है। सरकारें घग्गर के स्थायी हल का वादा हर चुनाव के दौरान करती हैं, लेकिन चुनाव गुजरने के बाद इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। वर्ष 2007 में खनौरी से लेकर मकोरड़ साहिब तक लगभग 22 किलोमीटर का पक्का बांध बनाया गया था। इसके बाद मकौरड़ साहिब से कडैल तक 18 किलोमीटर तक पक्का बांध बनाया जाना था, लेकिन यह मसला अभी तक अधर में लटका है। हरियाणा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेने के कारण काम रुक गया। अगर सरकार घग्गर दरिया के किनारों को आधुनिक मशीनों की मदद से साफ करके किनारों को मजबूत करने का काम करवाएं तो किसानों को हर वर्ष झेलनी पड़ रही बाढ़ की स्थिति का सामना न करने पड़े। गत वर्ष सरकार ने मुआवजा देकर धोएं आंसू

लोगों ने कहा कि गत वर्ष भी फूलद में 180 फीट चौड़ी दरार पड़ने के कारण आधा दर्जन गांवों की दस हजार एकड़ फसल पानी में डूब गई थी और 24 से अधिक मकानों में दरारें पड़ गई। इस आपदा में छह गांवों के लोग कई दिनों तक प्रभावित रहे। सरकार ने किसानों व मकान मालिकों को मुआवजा देकर उनकी आंखों के आंसू तो धो दिए, लेकिन इस बार फिर स्थिति बिगड़ने की संभावना है, जिससे निपटने के लिए न तो सरकार गंभीर तथा न ही प्रशासन। सरकार खोखले भरोसे देने तक सीमित:-

आम आदमी पार्टी के हलका इंचार्ज जसवीर सिंह कुदनी ने कहा कि घग्गर किसी समय पर इलाके के लिए वरदान साबित होती थी, लेकिन अब बाढ़ के कारण यह इलाके के लिए नुकसानदायक है। कैप्टन सरकार घग्गर के हल के लिए गंभीर नहीं है। वहीं, किनारों को मजबूत करने, सफाई करवाने, खाली थैले व रेत का प्रबंध करने सहित बाढ़ से बचाने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं कर रही है। इलाके के चार गांवों के किसानों ने खुद एकजुट होकर अपनी फसलें बचाने के लिए पैसे इकट्ठा करते चार किलोमीटर से अधिक एरिया के बांध खुद ही मजबूत बनाए हैं। ट्रैक्टर-ट्राली व जेसीबी मशीनों की मदद से लगातार किनारों के खस्ताहाल किनारों को मजबूत कर रहे हैं। सांसद मान भी जता चुके हैं आपत्ति

कुछ दिन पहले ही सांसद भगवंत मान ने घग्गर का दौरा किया तो इलाके के किसानों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि सरकार घग्गर की बाढ़ से निपटने के लिए विभाग को पर्याप्त फंड नहीं दे रही है, जिस कारण इस बार फिर से लोगों को आपदा का सामना करना पड़ेगा।

सांसद मान ने इस संबंधी डीसी संगरूर, एक्सईएन ड्रेनेज विभाग से बात की थी कि जल्द से जल्द घग्गर में सफाई करवाई जाए व बचाव के लिए पुख्ता प्रबंध करवाएं। अगले सप्ताह तक हर प्रबंध होगा पूरा:- एसडीएम

एसडीएम सूबा सिंह ने कहा कि मानसून के मद्देनजर बाढ़ से बचने के लिए मनरेगा मजदूरों की मदद से घग्गर की सफाई युद्ध स्तर पर चल रही है। सफाई के साथ ही किनारों को मजबूत बनाने के लिए मिट्टी के थैले लगाए गए हैं, ताकि पानी के बहाव से किनारों को खिसकने से रोका जा सके। अगले सप्ताह तक हर कार्य मुकम्मल कर लिया जाएगा। इलाके को बाढ़ से बचाने के लिए हर प्रकार के पुख्ता प्रबंध कर लिए हैं।

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