मालिक ने पासपोर्ट कर लिया जब्त, दो महीने का वेतन भी नहीं दिया, चंगुल से छूटे तो पुलिस ने पकड़ लिया

जिला रूपनगर के युवक की सउदी अरब में मालिक द्वारा बंधुआ मजदूर बनाने के उपरांत जेल में धक्के खाने वाले युवक की आज वतन वापसी हो गई है। सउदी अरब से अपने गांव आबादी बाहतियां (मवा) में पहुंचे युवक ओंकार चंद ने अपनी सुरक्षित वतन वापसी के लिए मीडिया एवं भारत सरकार का आभार जताया है। इस मौके उन्होंने आपबीती पत्रकारों के साथ साझा की। ओंकार चंद ने बताया कि वह दो अक्टूबर को सुंदरनगर (हिमाचल प्रदेश) के एजेंट मोहम्मद आसिम को 90 हजार रुपए देकर साउदी अरब के रिआद शहर में गया था। एजेंट ने उसे यहां ग्रेडर ऑपरेटर के रूप में भेजा था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Dec 2018 08:23 PM (IST) Updated:Mon, 03 Dec 2018 08:23 PM (IST)
मालिक ने पासपोर्ट कर लिया जब्त, दो महीने का वेतन भी नहीं दिया, चंगुल से छूटे तो पुलिस ने पकड़ लिया
मालिक ने पासपोर्ट कर लिया जब्त, दो महीने का वेतन भी नहीं दिया, चंगुल से छूटे तो पुलिस ने पकड़ लिया

संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी : रूपनगर के नूरपुरबेदी क्षेत्र के गांव आबादी बाहतियां (मवा) का युवक ओंकार चंद सऊदी अरब की कैद से छूटकर सोमवार शाम को अपने घर वापस पहुंच गया। गांव पहुंचने पर ओंकार चंद ने बताया कि दो अक्टूबर 2018 को सुंदरनगर (हिमाचल प्रदेश) के एजेंट मोहम्मद आसिम ने 90 हजार रुपये लेकर उसे सऊदी अरब के रिआद शहर भेजा था। एजेंट ने उसे बताया था कि वह कंपनी में फोरमैन होगा। कंपनी के मालिक ने उसे युवाओं को लाने के लिए वीजे दिए हैं। इसी एजेंट ने हिमाचल प्रदेश के 17 और युवाओं को भी टूरिस्ट वीजा पर सऊदी अरब उसी मालिक के पास भेजा था। जब वह सऊदी पहुंचा तो देखा कि वहां पहले से काम कर रहे युवकों के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जा रहा था। 6-7 युवाओं को एक छोटे कमरे में रखा जाता। उसी कमरे में उन्हें खाना बनाना पड़ता था। उन्हें कोई मेडिकल सुविधा नहीं दी जाती थी। 3300 रियाल वेतन देने का वादा किया गया था लेकिन उसे दो महीने तक वेतन नहीं दिया। मालिक ने अन्य युवकों का वेतन भी काट लिया। उन लोगों ने रोष जताया तो उन्हें जंगल में छोड़ देने की धमकी दी गई।

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उत्तर प्रदेश के युवक को छोड़ दिया जंगल में

ओंकार चंद ने बताया कि उनके साथ रहने वाले उत्तर प्रदेश के युवक को मालिक ने जंगल में छोड़ दिया था। भारतीय युवकों के साथ अत्याचार किया जाता है और उन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है।

वतन वापसी के लिए 15-15 हजार भी नहीं थे

मालिक मोहम्मद नासिर ने सऊदी पहुंचते ही 200 रियाल देकर उनके पासपोर्ट ले लिए। एक महीने बाद जब उन्होंने पूरा वेतन मांगा तो उनके पासपोर्ट वापस देने से मना कर दिया। वे लोग भारतीय दूतावास गए लेकिन वहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उनके वापस जाने के लिए 15-15 हजार रुपये मांगे गए। उनके पास न पासपोर्ट थे, न पैसे, इसलिए सउदी अरब की पुलिस ने उन्हे गिरफ्तार कर लिया।

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सात नंबर जेल में रखा, कैदियों की हालत थी दयनीय

उन्हें सात नंबर जेल में रखा गया जिसे सफर जेल कहा जाता है। इस जेल में करीब 200 लोग बंद थे और सभी की हालत दयनीय थी। कुछ कैदी बीमार थे और कुछ मानसिक रूप से परेशान हो चुके थे। जेल अधिकारियों से बचकर उसने हिमाचल प्रदेश के साथियों के साथ मिलकर अपने घर पर जेल में बंद होने की सूचना भेजी। हिमाचल सरकार ने इस मामले की सूचना विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक पहुंचाई जिसके बाद उसकी रिहाई हो पाई है।

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जल्द वापस आएंगे हिमाचल के युवक

हिमाचल प्रदेश के युवकों के दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। जल्द ही उनकी भी वतन वापसी होगी। धोखाधड़ी करने वाले एजेंट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। दूतावास ने पहचान के लिए सभी युवकों के फोटो मंगवाए हैं।

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