सतलुज दरिया के क्षेत्र में अवैध खनन नहीं होगा बर्दाश्त
सतलुज दरिया से सटे क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने के लिए गठित इलाका संघर्ष कमेटी ने प्रेसवार्ता की।
जागरण संवाददाता, नंगल: नंगल उपमंडल के सतलुज दरिया से सटे क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने के लिए गठित इलाका संघर्ष कमेटी ने सोमवार को प्रेसवार्ता की। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद सतलुज नदी के क्षेत्र में अवैध खनन तो रुक गया लेकिन अभी तक खनन माफिया के किसी भी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कमेटी के प्रधान सुरूप सिंह के अलावा आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के जिला प्रधान संजीव राणा, टिक्का यशवीर चंद, एडवोकेट विशाल सैनी, मोतीलाल आदि ने कहा कि खनन रुकने के बाद अब सरकार खनन माफिया को कथित संरक्षण देने के मकसद से डी सिल्टिंग पालिसी लाने जा रही है, यह प्रयास अप्रत्यक्ष रूप से अवैध माइनिंग को दोबारा चालू करने का है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वे पंजाब सरकार और स्थानीय विधायक एवं पंजाब विधानसभा के स्पीकर के साथ ही पुलिस प्रशासन के आभारी हैं जिन्होंने इलाका संघर्ष कमेटी के संघर्ष के बाद इस समय अवैध माइनिंग को पूरी तरह से रुकवा दिया है लेकिन आगे किसी भी तरह के अवैध खनन के प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन के कहने पर संघर्ष कमेटी ने दस नहीं बल्कि 20 दिन का समय दिया है ताकि कानूनी कार्रवाई के लिए अवैध खनन करने व करवाने वाले लोगों के अलावा उन स्थानों का चयन किया जाए जहा अवैध माइनिंग बड़े पैमाने पर की गई है लेकिन अभी तक इस दिशा में की जा रही कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। खनन माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई है। प्रशासन के कहने पर प्रभावित गावों में अवैध खनन के विरुद्ध में कमेटिया बनाने का कार्य जारी है जिसे जल्द पूरा कर दिया जाएगा।
कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि वे प्रभावित गावों के पीड़ित किसानों के माध्यम से एक पत्र मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों को भेजने जा रहे हैं जिसमें डी सिल्टिंग का काम रोकने तथा खनन माफिया पर कार्रवाई को सुनिश्चित बनाने की माग उठाई जाएगी। प्रेसवार्ता में संघर्ष कमेटी के प्रतिनिधि हरदेव सिंह, कामरेड विजय कुमार, भाग सिंह, राजपाल, दीप सिंह, संदीप धवन आदि मौजूद थे।
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बरसात से पहले करवाई जाए निशानदेही
आप नेता संजीव राणा ने कहा कि जहा सरकार गावों में डी सिल्टिंग करवाने सर्वेक्षण करवाने की बात कर रही है। इन गावों में कहीं भी सिल्ट नहीं है। दसग्राई के निकट जहा कुछ भाग सिल्ट का है वहा पहले ही गहरी माइनिंग की जा चुकी है। ऐसे में सिल्ट सर्वेक्षण करवाना सरासर ग्रामीण इलाके के लोगों की आखों में धूल झोंकने के सामान है। उन्होंने कहा कि अब माइनिंग पूरी तरह से रुक जाने के कारण गावों में नीचे गया भूजल स्तर द्वारा ऊपर आना शुरू हुआ है। ऐसे में अब दोवारा प्राकृतिक ढाचे से छेड़छाड़ करना किसानों व कृषि योग्य भूमि को नुकसान पहुंचाने के समान है। माग उठाई गई है कि बरसात से पहले उन जगहों की निशानदेही करवाई जाए जहा नियमों के विरुद्ध अवैध रूप से गहरी माइनिंग की गई है।