केंद्र सरकार छीन रही मजदूरों के अधिकार

पुरानी पेंशन बंद करने का श्रेय भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Aug 2019 11:03 PM (IST) Updated:Thu, 29 Aug 2019 11:03 PM (IST)
केंद्र सरकार छीन रही मजदूरों के अधिकार
केंद्र सरकार छीन रही मजदूरों के अधिकार

जागरण संवाददाता, नंगल

राष्ट्रीय इंटक के वरिष्ठ सदस्य ओर हिमाचल प्रदेश इंटक के महासचिव कामरेड जगत राम शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल करने पर हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का विधानसभा में साफ इंकार करना भाजपा का कर्मचारी हितैषी न होने के चेहरे को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए विधानसभा में जिस प्रकार मुख्यमंत्री ने साफ इंकार करते हुए कहा कि यह मुद्दा केंद्र सरकार का है, इसमें प्रदेश सरकार का कोई लेना देना नहीं है। पुरानी पेंशन बंद करने का श्रेय भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। इससे पहले, काम नहीं तो दाम नहीं का श्रेय भी पूर्व मुख्यमंत्री शाता कुमार को जाता है। उन्होंने चेताया कि पुरानी पेंशन की योजना नेहरू के काग्रेस युग में ही बनी थी। अफसोस है कि आज के कुछ ट्रेड यूनियन नेता व कर्मचारी सच्चाई को नहीं जानते। कुछ नेता इकट्ठे होकर अपनी फोटो अखबारों में छपवा कर नेता बन जाते हैं तथा पुरानी पेंशन के लिए घड़ियाली आसू बहाते हैं। कर्मचारियों की सहानुभूति बटोर कर सरकार से अपने मतलब के काम निकालते हैं। उन लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि मोदी एवं भाजपा सरकार आए दिन मजदूरों के अधिकारों को छीन रही है, ऐसे नेताओं को इसके खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ठेकेदारी और आउटसोर्सिस को बढ़ावा देकर मजूदरों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है। काग्रेस की जो विचारधारा आम लोगों व गरीबों एवं कर्मचारियों को आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए जोर लगाती थी। उसके उल्ट भाजपा अब आम कर्मचारियों एवं आम लोगों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है। काग्रेस राज में आम लोग कारखाने लगा रोजी रोटी की माग करते थे। लेकिन अब इन नारों को छोड़कर कुछ लोग मोदी मोदी कर बेरोजगारी के माहौल को छिपा रहे हैं, जिसका खामियाजा श्रमिक वर्ग एवं आम लोगों को भुगतना ही पड़ेगा। मंदी का दौर चल पड़ा है इससे उत्पन्न संकट का भार भी श्रामिकों को ही सहना पड़ेगा। करोड़ों लोगों का पहले ही रोजगार छिन चुका है और आगे यह संकट और बढ़ने वाला है।

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