चाचा के पदचिन्हों पर चलकर कमाएं नाम

नूरपुरबेदी मधुबन वाटिका पब्लिक स्कूल असमानपुर नूरपुरबेदी में बाल दिवस अनूठे ढंग से मनाया गया। स्कूल की प्रार्थना सभा में बच्चों की जगह शिक्षकों ने खडे़ होकर प्रार्थना की।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 09:52 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 09:52 PM (IST)
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संवाद सहयोगी, नूरपुरबेदी

मधुबन वाटिका पब्लिक स्कूल असमानपुर नूरपुरबेदी में बाल दिवस अनूठे ढंग से मनाया गया। स्कूल की प्रार्थना सभा में बच्चों की जगह शिक्षकों ने खडे़ होकर प्रार्थना की। प्रार्थना सभा में प्रतिदिन के विचार समाचार एवं भाषण बोलने का विद्यार्थियों का रूटीन कार्य भी शिक्षकों ने ही किया। शिक्षक ज्योति राणा ने बाल दिवस मनाने का कारण अंग्रेजी भाषा में समझाया तथा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन एवं उनकी उपलब्धियों के बारे विस्तार से जानकारी दी।

¨प्रसिपल जीओवीटी अब्राहिम ने नेहरू जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नेहरू का जिक्र एक स्वतंत्रता सेनानी तथा एक प्रधानमंत्री के रूप में किए गए विकास कार्यो की चर्चा की। शिक्षक सुरेखा राणा ने बताया कि प्रति वर्ष शिक्षक दिवस पर बच्चे शिक्षक की भूमिका निभाते आए हैं। इसलिए इस बार बाल दिवस पर पूरे स्टाफ ने निर्णय लिया कि वे बच्चों की भूमिका निभा कर बच्चों को गौरव का अहसास दिलाएंगे। पंडित ज्वाहर लाल नेहरू का नाम देश में सम्मान के साथ लिया जाता है। वह केवल प्रथम प्रधानमंत्री ही नहीं थे बल्कि आजादी की लड़ाई में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। ऐसे में उनके योगदान को भुलाना आसान नहीं है। बाल दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि उन्हें हम उनके जन्म उत्सव पर याद करते हैं, ताकि उनके प्रति हमारा सम्मान और आने वाली पीढि़यों को उन्हें जानने का मौका मिलता रहे। इस में शिक्षकों की भूमिका बहुत जरूरी है। वह हमें आजादी की सच्ची घटनाएं और हकीकत से रू-ब-रू कराते हुए हमें अपने इतिहास से जुड़े रखने में मदद करती हैं।

स्कूल चेयरमैन अमित चड्डा ने संबोधन करते हुऐ कहा कि बच्चों को चाहिए कि समय के साथ आधुनिकता की दौड़ में दौड़ें, लेकिन अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ इतिहास को भी याद रखें। आज इंटरनेट के माध्यम से वे दुनिया भर की जानकारी एक क्लिक में ले सकते हैं, लेकिन उसे करीब से जानने के लिए पढ़ना होगा। पंडित ज्वाहर लाल नेहरू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। चाचा नेहरू ने विश्व इतिहास की झलक दिखाने के लिए भारत एक खोज पुस्तक भी लिखी, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उनके द्वारा भारतीय संस्कृति का उदय और आजादी की लड़ाई तक की बात एक किताब में बताई गई है। बच्चों को चाहिए उनके जीवन का अनुसरण करें उनकी बातों पर चलें और प्रेरणा लें। हम देश के प्रति समर्पित होकर अपना जीवन निर्वाह करेंगे साथ ही इस देश को दुनिया का चमकता हुआ तारा बनाएंगे।

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