लेदर कांप्लेक्स की दो फैक्ट्रियों से 47 बाल मजदूर छुड़ाए, छह गिरफ्तार

वरियाणा स्थित लेदर कांप्लेक्स स्थित दो फैक्ट्रियों से पुलिस ने 47 बाल मजदूरों को छुड़वाया है। इनमें 13 लड़कियां भी शामिल हैं।

By Edited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 06:59 AM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 06:59 AM (IST)
लेदर कांप्लेक्स की दो फैक्ट्रियों से 47 बाल मजदूर छुड़ाए, छह गिरफ्तार
लेदर कांप्लेक्स की दो फैक्ट्रियों से 47 बाल मजदूर छुड़ाए, छह गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, जालंधर वरियाणा स्थित लेदर कांप्लेक्स स्थित दो फैक्ट्रियों से वीरवार को पुलिस ने 47 बाल मजदूरों को छुड़वाया है। इनमें 13 लड़कियां भी शामिल हैं। पुलिस ने इसकी मानव तस्करी के लिहाज से भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने दोनों फैक्ट्री मालिकों व नाबालिग बच्चों की सप्लाई करने वाले चार ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज कर सभी को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर ने बताया कि लेदर कांप्लेक्स स्थित जेके रबड़ इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड से 37 बच्चे और जेके पॉलीमोर इंडस्ट्री से दस बच्चे छुड़ाए गए। उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार आरोपितों के खिलाफ बाल मजदूरी कानून, जस्टिस जुवेनाइल एक्ट, 188 आइपीसी, एपिडेमिक डिजीज एक्ट व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि बच्चों से मजदूरी कराई जाती थी या फिर मानव तस्करी हो रही थी, इस पहलू से भी मामले की पड़ताल की जा रही है। इसके लिए एडीसीपी स्तर की स्पेशल टीम बना दी गई है। एसीपी बरजिंदर सिंह ने कहा कि यह दो भाइयों की फैक्ट्री हैं। इनमें 224, दयाल नगर निवासी जेके रबड़ इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड का मालिक इंदरप्रीत और 155, गुरु गोबिंद सिंह नगर निवासी जेके पॉलीमर इंडस्ट्री का मालिक हरप्रीत सिंह शामिल है। उन्होंने कहा कि दोनों की फैक्ट्रिया साथ-साथ हैं। इसके अलावा जिन ठेकेदारों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें मोहल्ला कच्चा कोट, बस्ती बावा खेल निवासी कमल, मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के फतेहाबाद का रहने वाला और अब बस्ती पीरदाद निवासी अनुज कुमार, 142, न्यू गौतम नगर का रहने वाला राजकुमार और बिहार के समस्तीपुर जिले के गाव इनायतपुर दमून और हाल निवासी बैंक कॉलोनी, नजदीक श्मशानघाट मुकेश कुमार शामिल है। इन लोगों से पूछताछ की जा रही है। आठ से 12 साल के बच्चे पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर ने बताया कि यहां से छुड़वाए गए बच्चों की उम्र आठ से 12 साल के बीच है। ये बच्चे ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार व नेपाल के रहने वाले हैं। बच्चों को जुवेनाइल होम में भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चे कैसे लाए गए थे? इन्हें क्या वेतन दिया जा रहा था और क्या काम कराया जा रहा था, इसके बारे में जांच की जा रही है। इसके अलावा किस तरह की नियम-शर्तो के साथ बच्चे यहां लाए गए अथवा सप्लाई किए गए, इसके बारे में पुलिस जांच कर रही है। संयुक्त टीम ने की कार्रवाई पुलिस कमिश्नर ने कहा कि एक एनजीओ से सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत डीसी घनश्याम थोरी से बात की। इसके बाद एडीसीपी-1 वत्सला गुप्ता की अगुआई में एसीपी बर¨जदर ¨सह के साथ पुलिस की टीम बनाई गई और एसडीएम-टू राहुल ¨सधु की अगुआई में प्रशासन की टीम गठित की गई, जिसमें सहायक श्रम कमिश्नर हरप्रीत ¨सह व ज¨तदरपाल ¨सह, जिला प्रोग्राम अफसर गुर¨मदर ¨सह, लीगल प्रोबेशन अफसर संदीप कुमार भाटिया भी शामिल थे। इसके बाद इस संयुक्त टीम ने कार्रवाई की। ------------ चप्पल पैक करते थे बच्चे पुलिस की शुरुआती पूछताछ में सामने आया है कि इन बच्चों से फैक्ट्री में चप्पलें पैक करवाई जाती थीं। इसके अलावा फैक्ट्री के अंदर आने से लेकर बाहर जाने तक इन पर पूरी पाबंदी रहती थी। बच्चों से आठ घटे से भी ज्यादा काम लिया जाता था और वेतन के नाम पर उन्हें थोड़ा बहुत पैसा दिया जाता था, क्योंकि सभी बच्चे गरीब परिवारों से संबंधित हैं। उनके मा-बाप जो भी मिलता है, उसी से संतोष कर लेते थे। हालाकि, बच्चे अंदर क्या करते थे इस बारे में किसी को भी बाहर जानकारी नहीं दी जाती थी। अभी इस मामले में कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

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