आरक्षण के लिए आर्थिक आधार पर करेंगे संघर्ष

संवाद सूत्र, मो¨रडा जनरल समाज के लोगों को उनके अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करते हुए सभी को एक

By Edited By: Publish:Sat, 03 Dec 2016 07:57 PM (IST) Updated:Sat, 03 Dec 2016 07:57 PM (IST)
आरक्षण के लिए आर्थिक आधार पर करेंगे संघर्ष

संवाद सूत्र, मो¨रडा

जनरल समाज के लोगों को उनके अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करते हुए सभी को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आज जनरल समाज के लोगों की अहम बैठक श्री राधा कृष्ण गऊशाला में आयोजित की गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए केके अत्री ने कहा कि कुछ दिनों बाद की जाने वाली बैठक में सर्वसम्मति से जनरल समाज के शहरी प्रधान, चेयरमैन सहित अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इस मौके पर डॉ. सीता राम राणा, ज¨तदर गुंबर तथा जसपाल ¨सह राणा ने संयुक्त रूप से कहा कि हम लोग किसी धर्म, जाति या आरक्षण के विरोध में नहीं हैं लेकिन दिया जाने वाला आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर नहीं दिया जाना चाहिए बल्कि आरक्षण हर वर्ग को आर्थिकता के आधार पर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबा साहिब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सपना देखा था कि देश अंदक हर नागरिक को समान अधिकार मिले तथा किसी के साथ जाति के आधार पर भेदभाव न हो। उन्होंने कहा कि लेकिन 70 साल के लंबे अंतराल में हम भेदभाव समाप्त नहीं कर पाए जबकि जात पात पहले से अधिक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अगर जात पात को समाप्त करना है तथा बाबा साहिब के सपनों को पूरा करना है तो आरक्षण को जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिकता के आधार पर दिया जाना सुनिश्चित बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी जनरल समाज की अवहेलना करती आ रही है लेकिन अब यह अवहेलना सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो भी पार्टी भविष्य में जनरल समाज के लोगों की अवहेलना करेगी उसे ऐसी घटिया राजनीति के परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जनरल समाज के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हो जाएं। उन्होंने कहा कि आजकल सभी राजनीतिक दल अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए आरक्षण रूपी दानव को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं जबकि सच्चाई यह है कि इस आरक्षण के कारण देश बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने देश को बचाना है तथा भारत में जात पात को खत्म करना है तो जातिगत आरक्षण को हटाना होगा। इस मौके पर चेतन वशिष्ठ, राधे शाम शर्मा, बंटी भारद्वाज, दीपक दानिया, अखिलेष अत्री, गौरव वशिष्ठ, मोहन ¨सह अरोड़ा ने भी विचार रखे।

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