निर्मल के निर्मल विचारों ने दिलाई निर्मल सांस

By Edited By: Publish:Wed, 13 Aug 2014 01:11 AM (IST) Updated:Wed, 13 Aug 2014 01:11 AM (IST)
निर्मल के निर्मल विचारों ने दिलाई निर्मल सांस

जागरण संवाददाता, रूपनगर

आदमी का नाम उसकी भूमिका तय करने के लिए काफी होता है। गांव लोधीमाजरा के निर्मल सिंह के नाम और अनुभव से तो यही साबित होता है। अगर बीमारियों व अव्यवस्थाओं का गुलाम ही रहना पड़े तो फिर ऐसी आजादी किस काम की। इसी सवाल का जवाब दिया है निर्मल सिंह ने। 73 साल की उम्र के खास अनुभव और नाम के जैसे निर्मल विचारों की बदौलत ही इन्होंने क्षेत्र की धरा और आब-ओ-हवा को बचाने का पुण्य कमाया है। घनौली के पास गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट समेत एक अन्य सीमेंट फैक्टरी शुरू होने के बाद क्षेत्र के गांवों की समस्याओं के लिए निर्मल सिंह ने काफी संघर्ष किया। कभी थर्मल प्लांट के ब्वायलरों से निकलने वाले गर्म पानी से बर्बाद हो रही उपजाऊ जमीन को बचाने को लेकर तो कभी थर्मल पावर प्लांट व फैक्टरी की राख से लोगों को होने वाली परेशानी का मुद्दा लोदीमाजरा सबसे आगे रहे।

बकौल निर्मल सिंह लोधीमाजरा एक बार तो हालात ये हो गए थे कि लोगों की छतों, कमरों के भीतर राख ही राख हो जाती थी। जो सामान लोगों का बाहर खुले आसमान तले रह जाता था वो राख से खराब हो जाता था। विरोध के बाद संस्थानों ने काफी हद तक प्रदूषण पर कंट्रोल किया।

लोदीमाजरा बताते हैं कि सन 1995 में 400 एकड़ जमीन में थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले पानी की मार थी। यह जमीन आधा दर्जन से ज्यादा गांवों की थी। तब उन्होंने लोगों को साथ लेकर थर्मल-अंबुजा पीड़ित कमेटी का गठन किया। इस कमेटी के बैनर तले दर्जनों बार धरने दिए गए। वो बताते हैं कि इसके बाद कहीं जाकर थर्मल प्लांट से निकलने वाले गर्म पानी को एस्केप चैनल नहर के जरिये दरिया तक लाया गया। उसके बाद लोगों की जमीन का होने वाला नुकसान रुका। आज भी वहां के लोगों की जमीन सेम की मार तले है। उन्होंने कहा कि वो क्षेत्र की लिंक रोड के निर्माण के लिए संघर्ष किया। कई बार सड़क बनवाई है, लेकिन भारी वाहनों के आवागमन से ये सड़क कुछ साल ही टिक पाती है। अब इसे चौड़ा करने की मांग को लेकर संघर्ष करने की योजना है। उन्होंने कहा कि राजनेता केवल झूठे दावे और वादे करके लोगों का मूर्ख बनाते हैं। असलियत में होता कुछ नहीं।

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