लोगों को कैनाल बेस्ड वाटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट का इंतजार

दूषित हो रहे भूमिगत पानी से पटियाला वासी दूषित पानी पीने को मजबूर है। आरओ सिस्टम से भी राहत न मिलने से लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 May 2019 05:09 PM (IST) Updated:Fri, 10 May 2019 06:14 PM (IST)
लोगों को कैनाल बेस्ड वाटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट का इंतजार
लोगों को कैनाल बेस्ड वाटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट का इंतजार

संजय वर्मा, पटियाला

दूषित हो रहे भूमिगत पानी से पटियाला वासी दूषित पानी पीने को मजबूर है। आरओ सिस्टम से भी राहत न मिलने से लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छ पानी की सप्लाई के लिए कैनाल बेस्ड वाटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार ने काम शुरू करने की घोषणा की। वहीं, समय के अंदर प्रोजेक्ट पूरा होने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पटियाला को रोजाना करीब सौ मिलियन लीटर पीने का पानी चाहिए। नगर निगम के ट्यूबवेल से रोजाना 65 एमएल पानी की सप्लाई जारी है।

चुनाव के बाद प्रोजेक्ट पर काम होने की संभावना

साल 2017 में राज्य में काग्रेस की सरकार बनने के साथ ही पटियाला में कैनाल बेस्ड वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से वित्तीय सहायता के लिए आवेदन किया को सात सौ करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी मिली। फिलहाल प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी करने के बाद प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनियों ने काम में बदलाव के सुझाव दिए हैं। कंपनियों के प्रस्ताव पर सरकार ने विशेष कमेटी बना कर जरूरी हिदायतें जारी कर दी हैं। अब चुनाव के बाद इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू होने की संभावना है। सरकार की ओर से पटियाला में कैनाल बेस्ड वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट की अवधि दो साल तय की है। शुरूआती दौर होने के कारण अभी इसकी तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जानी है और प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का काम भी बाकी है।

पेयजल की दिक्कत घोषणाएं काल्पनिक

पेयजल की दिक्कत झेल रहे शहरवासियों के मुताबिक अभी तक तो ये घोषणाएं काल्पनिक नजर आ रही है। नरिंदर कुमार ने कहा कि अभी तक तो लोग नलों से या सबमर्सिबल से पानी ले रहे हैं। पानी दूषित होने के कारण आरओ के बिना काम नहीं चलता। उपदेश मंगला ने कहा कि अकसर सरकारी ट्यूबवेल की सफाई और वाटर प्योरीफाई की शिकायत रहती है। सरकार को इसका समाधान करना चाहिए। 24 घटे नहरी पानी मिलने की बात सुनी है, परंतु वादा पूरा होगा तब देखेंगे। जतिंदर पाल सिंह ने कहा कि पटियाला में कैनाल वाटर प्रोजेक्ट शुरू होने के बारे में सुना है। चुनाव के कारण प्रोजेक्ट रूक गया, अंदेशा है कि कहीं चुनावी वादा तो नहीं। आगे देखते हैं क्या होता है। कमलेश कौशल ने कहा कि शहरवासियों की समस्या पर किसी ने ध्यान तो दिया। इससे पहले भी सरकारें आती रही है परंतु गंदे हो रहे पानी की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया। एक्सपर्ट व्यू

प्रोजेक्ट पर काम शुरू, कंपनियों के सुझाव पर किए गए हैं परिवर्तन

सरकार चाहे तो ये प्रोजेक्ट तय समय से पहले भी हो सकता है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है और कंपनियों के सुझाव पर कुछ परिवर्तन किये गए हैं। पटियाला के लिए ये प्रोजेक्ट नया जरूर है परंतु मुश्किल नहीं इससे पहले सब तहसील राजपुरा में नहरी पानी की सप्लाई घरों में हो रही है। 700 करोड़ का ये प्रोजेक्ट बड़ी कंपनी के सुपुर्द किया जा रहा है।दो साल तक काम पूरा हो जाएगा। इसमें भूमि अधिग्रहण का काम भी बीच में है।

- संजय जिंदल, एसडीओ सीवरेज बोर्ड

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भूमि अधिग्रहण और हरियाणा को दिए जा रहे पानी में कमी आने पर फंसेगा पेंच

कानूनी पेंच नहीं फंसता तो पटियाला में कैनाल बेस्ड वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट डेढ़ साल में भी पूरा हो सकता है। भूमि अधिग्रहण में कानूनी पचड़ा और हरियाणा को दिये जा रहे पानी में कमी आई तो कानून पेंच फंस सकता है। प्रोजेक्ट शहर के लिए बढि़या है।सरकारी इच्छा शक्ति से प्रोजेक्ट 2 साल में पूरा तो हो जाएगा परंतु समय रहते इसे शुरू भी किया जाए। वाटर स्टोर करने के लिए टैंक बनाना. सप्लाई लाइन देना ये सब अहम चीजें है।

- डॉ. नरिंदर संधू, संरक्षक ग्राउंड वाटर सेविंग अवेयरनेस पटियाला का ग्राउंड वाटर काफी दूषित, हो सकते हैं गंभीर रोग

पटियाला का ग्राउंड वाटर काफी दूषित हो गया है, जिससे हड्डियों के रोग, कैंसर और त्वचा के रोग गंभीर हो रहे हैं। पानी में धातु मिलने के कारण पानी पीने लायक नहीं रहता और आरओ भी पूरी तरह पानी को शुद्ध नहीं कर पाते। कैनाल बेस्ड वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट से तमाम समस्याओं से राहत मिलेगी। शहर को ये तोहफा तभी मिल सकता है अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति मजबूत हो। मुख्यमंत्री पटियाला के है तो इस प्रोजेक्ट पर कोई संदेह नहीं रह जाता।

- डॉ. विकास गोयल, एमडी मेडीसन प्रोजेक्ट सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर

तकनीकी तौर पर केवल भूमि अधिग्रहण ही प्राथमिकता है। जमीन मिलने पर प्रोजेक्ट सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर है। मुख्यमंत्री खुद इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है। इसलिए उम्मीद है कि ये प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद समय के अंदर पूरा हो जाएगा। अगर थोड़ी बहुत परेशानी आती भी है तो सरकारी तौर पर उसे जल्द हल भी किया जा सकता है। शहर वासियों के लिए प्रोजेक्ट सेहतमंद है।

- अरूण तिवाड़ी, रिटायर्ड एसडीओ

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