शहीद सैनिकों को चुनावी मुद्दा न बनाएं राजनीतिक पार्टियां

पुलवामा आंतकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के बाद इंडियन एयर आर्मी ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 12:00 AM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 12:00 AM (IST)
शहीद सैनिकों को चुनावी मुद्दा न बनाएं राजनीतिक पार्टियां
शहीद सैनिकों को चुनावी मुद्दा न बनाएं राजनीतिक पार्टियां

जागरण संवाददाता, पटियाला

पुलवामा आंतकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के बाद इंडियन एयर आर्मी ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया है। इस सर्जिकल स्ट्राइक को किसी भी राजनीतिक पार्टी की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाकर नहीं भुनाना चाहिए। इस संबंध में लोगों की भी यही राय है। पटियाला वासी वरिदर बत्तरा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए बहुत जरूरी थी, इसलिए यह स्ट्राइक देश की जरूरत थी न कि किसी राजनीतिक पार्टी की ओर से चुनावी मुद्दा बनाने की जरूरत । ब्रिज मोहन सिधी ने कहा कि अगर पाकिस्तान में जाकर इस तरह की कार्रवाई न की जाती तो पाकिस्तान का हौसला बढ़ जाता और इस तरह के आंतकी हमले बढ़ते और बेकसूर देशवासियों की जाने जातीं । राजेश चावला ने कहा सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए देश की सरकार ने हमारे शरीद सैनिकों के परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए बहुत जरूरी था । ऐसे में मुझे नहीं लगता कि शहीदों को मारने के जवाब में दिया गया जवाब कोई चुनावी मुद्दा बनना चाहिए । अगर कोई पार्टी इस पर राजनीती करते हुए इसे चुनावों में भुनाने की कोशिश करती है तो यह गलत होगा । सुरिदर अहूजा ने कहा कि यह देश हित में पाकिस्तान को जवाब था न कि किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा अपने हित में की गई कारवाई । अगर केंद्र सरकार इस तरह का काम न करती तो उसे जरूर अन्य पार्टियां चुनावी मुद्दा बना लेती । एसे में कोई भी राजनीतिक पार्टी अगर चुनाव में शहीद सैनिकों के मुद्दे को भुनाने की कोशिश करती है तो वो औंधे मिह गिरेगी । चिराग मल्होत्रा ने भी इसी बात को दोहराते हुए इस इशू को राजनीतिक पार्टियों द्वारा सराहना करते हुए चुनावी मुद्दा बनाने से परहेज करना चाहिए ।

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