मेरे नावलों पर पीएचडी ही मेरे लिए अवार्ड : डॉ. स्याल

भारत के अलावा 40 देशों में घूमकर ¨हदी का प्रचार व प्रसार कर चुके डॉ. अशोक स्याल कहते हैं कि मेरी तमन्ना ¨हदी मे ही जीने की है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Sep 2018 08:26 PM (IST) Updated:Sat, 01 Sep 2018 11:07 PM (IST)
मेरे नावलों पर पीएचडी ही मेरे लिए अवार्ड : डॉ. स्याल
मेरे नावलों पर पीएचडी ही मेरे लिए अवार्ड : डॉ. स्याल

सुरेश कामरा, पटियाला

भारत के अलावा 40 देशों में घूमकर ¨हदी का प्रचार व प्रसार कर चुके डॉ. अशोक स्याल कहते हैं कि मेरी तमन्ना ¨हदी मे ही जीने की है। जालंधर वासी डॉ. स्याल ने विदेशों में जाकर न केवल ¨हदी का प्रचार व प्रसार किया बल्कि उन्होंने वासुदेव जी का कुटंबक यानी 'विश्व एक परिवार' के अलावा ब्रदरहुड की ओर से दिए भाईचारे का संदेश दिया है ।

भाषा विभाग में शुरु हुए दो दिवसीय काव्योत्सव समारोह में शिरकत करने आए लेखक डॉ. अशोक स्याल ने दैनिक जागरण के संग बातचीत में यह बात कही । डॉ. सयाल ने 2010 से लेकर अब तक 50 से अधिक पुस्तकें जिनमें नावल भी शामिल हैं लिखे हैं । उनके लिखी हर पुस्तक में सामाजिक संदेश है । इस लिए उनके ¨हदी नावल लहरें को पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ व ¨हदी नावल प्रायश्चित को गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर ने अपने स्टूडेंट्स को पीएचडी करवाने के लिए चुना है । इसके साथ ही ¨हदी नावल कामना को लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है । डॉ. स्याल ने बताया कि नावल लहरें में सामाजिक व दहेज से जुड़ा संदेश है, प्रायश्चित नावल अश्लीलता के खिलाफ संदेश देता है जबकि नावल कामना कामवासना के बगैर भी प्यार होता है का संदेश देता है । हाल ही में उनका नावर साजिश जो महिला सशक्तिकरण पर आधारित है आने वाला है । उनकी कुल पुस्तकों में 2 पंजाबी, 5 अंग्रेजी व 45 ¨हदी की पुस्तकें हैं । 40 देशों का किया भ्रमण

डॉ. स्याल ने अब तक ¨हदी भाषा के प्रचार व प्रचार के लिए 40 देशों का भ्रमण करते हुए वहां पर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है । वे अब तक फ्रांस, स्विटजरलैंड, इटली, रोम, पैरिस, अमरीका, लंदन सहित अन्य देशों में जा चुके हैं । डॉ. सयाल की पत्नी डॉ. मीनाक्षी सयाल जालंधर स्थित एचएमवी कालेज में वाइस ¨प्रसिपल के तौर पर कार्यरत हैं ।

chat bot
आपका साथी