अध्यापकों का टावर पर अब तक का सबसे लंबा संघर्ष

रोजगार की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दोनों बेरोजगार ईटीटी टीईटी पास अध्यापकों को लीला भवन स्थित बीएसएनएल टावर पर प्रदर्शन करते हुए 52 दिन हो गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:25 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:25 PM (IST)
अध्यापकों का टावर पर अब तक का सबसे लंबा संघर्ष
अध्यापकों का टावर पर अब तक का सबसे लंबा संघर्ष

जागरण संवाददाता, पटियाला : रोजगार की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे दोनों बेरोजगार ईटीटी टीईटी पास अध्यापकों को लीला भवन स्थित बीएसएनएल टावर पर प्रदर्शन करते हुए 52 दिन हो गए हैं। मंगलवार को बेरोजगारों ने दावा किया कि आज तक कोई भी संघर्ष टावर पर इतना लंबे समय तक नहीं चला। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रति रोष के कारण इतने समय तक बेरोजगार अध्यापकों को टावर पर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे पहले 2016 में फाजिल्का का दीपक चंडीगढ़ के सेक्टर तीन में स्थित पंजाब भवन में 51 दिन तक टावर पर रहा था।

उधर, लंबा समय भूखे प्यासे रहने के कारण बेरोजगार अध्यापकों की हालत ऐसी हो गई है कि ठोस रूप में उन्हें कुछ पच नहीं रहा है। गुरदासपुर के सुरिदरपाल और मानसा के हरजीत को दर्द की दवाएं लेने के बाद कुछ समय आराम रहता है, लेकिन जब दवा का प्रभाव कम होना शुरू हो जाता है तो दोबारा से दर्द शुरू हो जाता है। दोनों अध्यापक सेहत बिगड़ने के बावजूद अपनी मांगें पूरी नहीं होने तक टावर से नीचे आने को तैयार नहीं हैं। दोनों ने कहा कि साल 2018 में ईटीटी टीईटी पास अध्यापकों की योग्यता बारहवीं से ग्रेजुएशन कर दी गई, जिसे संघर्ष करके दोबारा बारहवीं करवाया गया। छह मार्च 2020 में जब पंजाब सरकार की तरफ से कम पद निकाले गए तो उसमें पंजाब सरकार की तरफ से नई-नई शर्तें लगा दी गई। इन शर्तो को वापस करवाने के लिए वे अब तक संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की बेरोजगार अध्यापकों के प्रति हमेशा फूट डालो और राज करो की नीति रही है।

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