एक की समारोह में थे कैप्टन अमरिंदर और सिद्धू, लेकिन नजरें तक न मिलाईं
स्ीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की दूरी अब सार्वजनिक तौर पर भी दिखने लगी है। पटिलाया में एक समारोह में दोनों मौजूद थे, लेकिन दूूर-दूर रहे।
पटियाला, [सुरेश कामरा]। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लगता है कि अब भी सब कुछ ठीक नहीं है। शुक्रवार को दाेनों यहां एक समारोह में दोनों मौजूद थे, लेकिन दूर-दूर रहे। समारोह में कैप्टन व सिद्धू एक-दूसरे से नजरें बचाते रहे। सिद्धू अपने मुख्यमंत्री से दूर रहे। वह करीब आधे घंटे तक प्रोग्राम में रहे और मुख्यमंत्री के वहां मौजूद रहने के बावजूद वहां से चले गए।
सिद्धू जाते हुए परनीत कौर से मिले, पर अमरिंदर से नहीं मिलाईं नजरें
माैका यादविंदरा पब्लिक स्कूल (वाईपीएस) के स्थापना दिवस समारोह का। मंच पर कैप्टन पहली और सिद्धू दूसरी कतार में बैठे। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा तक नहीं। कार्यक्रम शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनके भाई मालविंदर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह और सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह (कपूरथला रियासत) और स्कूल के डायरेक्टर संजीव वर्मा को पहली पंक्ति में बैठाया गया। वहां नवजोत सिद्धू को जगह नहीं मिली।
जैसे ही कैप्टन समेत पांचों मेहमान परफार्मेंस स्टेज पर गए तो उसके कुछ देर बाद ही सिद्धू समारोह से चले गए। जाते हुए वह पूर्व केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर से तो मिले, लेकिन कैप्टन से नहीं मिले। वहां बैठे मेहमानों ने भी हैरानी जताई कि मुख्यमंत्री के समारोह में होने के बावजूद सिद्धू चले गए। इतना ही नहीं, समारोह के बारे में जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई उसमें भी सिद्धू का कहीं कोई जिक्र नहीं था। बताया जा रहा है कि सिद्धू प्रोग्राम से निकलने के बाद पटियाला में ही देर शाम तक थे।
उल्लेखनीय है कि अमृतसर, जालंधर व पटियाला नगर निगम के मेयरों के चयन में खुद को नजरअंदाज किए जाने के बाद सिद्धू ने खुलकर नाराजगी जाहिर की थी। सबसे ज्यादा नाराजगी उनको अमृतसर के मेयर को लेकर थी क्योंकि सिद्धू वहीं से विधायक भी हैं।
...और नहीं बोले कैप्टन
समारोह में प्रस्तुतियों के कारण अधिक समय ले रहे हैं। प्रस्तुतियों के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समरोह को संबोधित करने वाले थे, लेकिन समयाभाव के चलते उन्होंने अपना संबोधन नहीं किया।