अब शहर को पॉलाथिन मुक्त बनाने के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुपों ने उठाया बीड़ा

शहर को पॉलाथिन मुक्त बनाने की योजना भले ही जिला प्रशासन की ओर से कई बार शुरू होने के बावजूद सिरे नहीं चढ़ सकी हो परंतु जिले के करीब छह सेल्फ हेल्प ग्रुपों की ओर से इस पर बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jan 2019 12:51 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jan 2019 12:51 AM (IST)
अब शहर को पॉलाथिन मुक्त बनाने के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुपों ने उठाया बीड़ा
अब शहर को पॉलाथिन मुक्त बनाने के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुपों ने उठाया बीड़ा

संस, पठानकोट : शहर को पॉलाथिन मुक्त बनाने की योजना भले ही जिला प्रशासन की ओर से कई बार शुरू होने के बावजूद सिरे नहीं चढ़ सकी हो परंतु जिले के करीब छह सेल्फ हेल्प ग्रुपों की ओर से इस पर बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है। इन ग्रुपों की ओर से तैयार किये गये कपड़े के बैग डल्हौजी रोड पर वन विभाग की ओर से खोले गये हर्बल आऊटलेट सेंटरों पर बेचे जा रहे हैं। पांच रूपए से लेकर दस रूपए की कीमत में बिक रहे इन बैगों की पर्यावरण प्रेमियों की ओर से खूब डिमांड की जा रही है। यही कारण है कि सेल्फ हेल्प ग्रुपों द्वारा इन बैगों को बेच जहां अच्छी खासी कमाई की जा रही है वहीं दूसरी ओर भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने की दिशा में ये यह एक सराहनीय कदम सिद्ध हो रहा है। वन विभाग की ओर से इस दिशा में काम कर रहे ग्रुपों को पूर्णत सहयोग किया जा रहा है।

संडे बाजार से पुराने कपड़े खरीदने में जुटी महिलाएं

करीब छह माह पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में जहां अर्ध पहाड़ी क्षेत्र धार तथा दुनेरा के सेल्फ हेल्प ग्रुपों की महिलाओं ने घर में प्रयोग हो चुके पुराने कपड़ों से बैग तैयार कर इन्हें बेच कर आय का एक अन्य स्त्रोत पैदा कर लिये है। इसमें महिलाएं जहां अपने घर तथा आसपास के पुराने कपड़ों को एक स्थान पर बैठ कर तैयार कर रही है वहीं दूसरी ओर कपड़े की किल्लत आने के बाद वह पठानकोट में संडे बाजार में लगने वाली सेल से भी कपड़े की खरीद कर इन्हें तैयार करने की प्रक्रिया को रूकने नहीं देती। जमीन की उर्वरा शक्ति को छीन होने से बचाने के लिये शुरू हुई इस योजना का मुख्य मकसद जहां पर्यावरण प्रदूषित होने से बचाना है वहीं वृक्षों की जड़ों के साथ चिपकने के बाद वन सम्पदा का भी नुकसान हो रहा था। साथ ही विभाग का उद्देश्य धार तथा दुनेरा में चलने वाले 70 सेल्फ हेल्प ग्रुपों को एक्टिवेट कर बड़ी मात्रा में कपड़े के बैग तेयार करवाना है ताकि लोगों को रोजगार मिलने के साथ-साथ उनकी आय का स्त्रोत भी बन सके।

अप्रैल 2016 में शुरू हुई थी योजना

जिला प्रशासन की ओर से पठानकोट को प्लास्टिक कैरी बैग से मुक्त करने के लिये इस योजना को शुरू किया गया था। इसके लिये नगर निगम की ओर से टीमों का गठन भी किया गया था। शहर के समस्त दुकानदारों, होलसेल तथा रेहड़ी चालकों को हिदायतें की गई थी कि वह प्लास्टिक युक्त बैग का प्रयोग न करें। इसके बाद नगर निगम की टीमें जिला प्रशासन की हिदायतों पर शहर भर में दबिश कर प्लास्टिक बैग बेचने वालों से भारी भरकम जुर्माने भी बसूल किये गए थे। पर योजना मात्र 4 माह बाद ही तत्कालीन कमिश्नर कुमार सौरव राज का तबादला होते ही कुछ ही दिनों बाद ये योजना ठप्प होकर रह गई। इसके बाद विधानसभा चुनावों का दौर शुरू होते ही कर्मचारियों की ड्यूटियां लगने के बाद ये प्रक्रिया पूरी तरह से ठप्प हो गई। इन दिनों शहर में प्लास्टिक कैरी बैग धडल्ले से बिक रहा है।

पर्यावरण संरक्षण को बनाए रखने के लिए कपड़े के बैग जरूरी

डीएफओ डॉ. संजीव तिवारी ने बताया कि विभागीय स्तर पर सेल्फ हेल्प ग्रुपों को हिदायतें की गई है कि वह कपड़ा तथा कपड़ा प्लस जूट का मिश्रण कर इन बैग को तैयार करें। इससे जहां एक ओर बैग की लुक निखरेगी वहीं दूसरी ओर इनकी खरीद में भी इजाफा होगा। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बनाए रखना तथा सेल्फ हेल्प ग्रुपों के लिये आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।

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