शहादत के 24 वर्ष बाद भी नहीं बना यादगारी गेट, अब परिवार खुद उठाया बीड़ा, पिता ने रखा नींवपत्थर
24 साल पहले रमेश कुमार त्रिलोचा शहीद हो गए थे। शहीद के सम्मान में कोई स्मारक बनाने के लिए सरकारों ने कभी पहल नहीं की इसलिए परिवार ने खुद यह जिम्मा उठाया है।
जेएनएन, घरोटा [पठानकोट]। 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन में मर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।' पठानकोट के घरोटा कस्बे के गांव जंडी के शहीद की याद में परिवार खुद अपने वीर सपूत रमेश की याद में यादगारी गेट बना रहा है। 24 साल पहले रमेश कुमार त्रिलोचा शहीद हो गए थे। शहीद के सम्मान में कोई स्मारक बनाने के लिए सरकारों ने कभी पहल नहीं की, इसलिए परिवार ने खुद यह जिम्मा उठाया है।
गांव जंडी के बस अड्डे के पास शहीद के पिता सांझी राम, भाई दिनेश कुमार सहित परिवार के सदस्यों ने शहीद के यादगारी गेट के निर्माण का नींवपत्थर रखा और भूमि पूजन किया। 1880 लाइट रेजिमेंट के सिपाही रमेश कुमार चलोत्रा 24 साल पहले 13 मई, 1995 को अगरतला (त्रिपुरा) में आतंकवादियों के हमले में शहीद हो गए थे।
शहीद के भाई दिनेश कुमार का कहना है कि सरकारें शहीदों के यादगारी गेट बनाने की घोषणाएं करती हैं। उम्मीद थी कि उनके शहीद भाई के नाम पर भी सरकार कोई स्मारक बनाएगी। वे कई बार नुमाइंदों से यादगारी गेट बनाने की आवाज उठा चुके हैं, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अब परिवार और रिश्तेदारों ने मिलकर योजना बनाई कि अगर प्रशासन या सरकार मदद नहीं करता है तो वे अपने स्तर पर यादगारी गेट बनाएंगे। शहीद के पिता सांझी राम राज मिस्त्री का काम करते हैं जबकि भाई दिनेश कुमार दुकान चलाते हैं। गेट का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया है।
पंचायत ने दी जमीन, सहयोग भी करेंगे
शहीद के परिवार की ओर से यादगारी गेट बनाने के लिए जमीन पंचायत की ओर से दी गई है। सरपंच ठाकुर रविंदर सिंह और पूर्व सरपंच देसराज का कहना है कि शहीद रमेश कुमार चलोत्रा युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी याद में गेट बनना गांववासियों के लिए गर्व की बात है। पंचायत की ओर से जो सहयोग होगा, वे करेंगे।
पंचायत और गांव था मौजूद
नींवपत्थर रखने के मौके पर गांव के सरपंच रविंदर सिंह, पूर्व सरपंच जतिंदर शर्मा कालू, सदस्य ऐंचल सिंह, तारा सिंह, राजेश सलारिया, पंकज मनहास, राजेश गोगा सहित गांव के लोग उपस्थित थे।