पहली बार दौड़ी पठानकोट-अमृतसर रेल सेक्शन पर बिजली वाली ट्रेन

पठानकोट- अमृतसर इलेक्ट्रिक ट्रैक पर चीफ रेलवे सेफ्टी ने इलेक्ट्रिक इंजन से निरीक्षण किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Sep 2019 11:01 PM (IST) Updated:Thu, 26 Sep 2019 06:30 AM (IST)
पहली बार दौड़ी पठानकोट-अमृतसर रेल सेक्शन पर बिजली वाली ट्रेन
पहली बार दौड़ी पठानकोट-अमृतसर रेल सेक्शन पर बिजली वाली ट्रेन

विनोद कुमार/ राजेश सेठ, पठानकोट : पठानकोट- अमृतसर इलेक्ट्रिक ट्रैक पर चीफ रेलवे सेफ्टी ने इलेक्ट्रिक इंजन से निरीक्षण किया। अधिकारियों के अनुसार ट्रायल सफल रहा है, जिस पर अगले कुछ दिनों में मुहर लग जाएगी ओर इसके बाद सेक्शन पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाने का रास्ता क्लीयर हो जाएगा। इलेक्ट्रिक ट्रैक में तबदील होने के बाद पठानकोट से अमृतसर जाने वाले यात्रियों के समय में आधा घंटा की बचत होगी, वहीं नई ट्रेनें चलाकर रेलवे यात्रियों को सुविधा प्रदान करेगा। बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे चीफ रेलवे सेफ्टी बड़ौदा हाउस नई दिल्ली शैलेंद्र कुमार पाठक अमृतसर से अपनी विशेष ट्रेन में भरोली जंक्शन तक बने नए इलेक्ट्रिक ट्रैक का निरीक्षण करने के लिए निकले। उनके साथ दिल्ली मुख्यालय से इलेक्ट्रिक इंजीनियर शैलेंद्र कुमार सिंह व डिप्टी चीफ प्रवीन कठपालिया सहित मंडल के अधिकारी भी विशेष ट्रेन से सवार हुए। अमृतसर से चीफ रेलवे सेफ्टी डीजल इंजन के साथ भरोली जंक्शन पहुंचे जबकि, पठानकोट लोको में खड़े इलेक्ट्रिक इंजन के साथ वह अपनी 10 डिब्बों वाली विशेष सैलून से सायं 5:10 बजे अमृतसर के लिए रवाना हुए।

जानकारी के अनुसार 2017 में राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति ने रेलवे ट्रैकों के इलेक्ट्रिफिकेशन की पहचान कर ईंधन की खपत कम करने के एक साधन के रुप में रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिफिकेशन परियोजनाओं की प्रगति की राह में मौजूद बाधाओं को दूर करते हुए प्राथमकिता के आधार पर इलेक्ट्रिफिकेशन के कार्य को आगे बढ़ाने की सिफारिश की गई थी। उसी के आधार पर 2017 में पेश हुए केंद्रीय आम बजट में पठानकोट- अमृतसर रेल सेक्शन को इलेक्ट्रिफिकेशन में तबदील करने के लिए 82.52 करोड़ फंड का प्रावधान रखा था। पठानकोट- अमृतसर रेल सेक्शन के इलेक्ट्रिफिकेशन होने के बाद पैसेंजर ट्रेनों को ईएमयू (इलेक्ट्रिक्ल मल्टीपल यूनिट) में तबदील किया जाएगा। डीजल इंजन के मुकाबले यह ईएमयू एक सैकेंड में ही अपना प्रेशर बनाकर स्पीड़ बढ़ा लेती हैं। डीजल इंजन को अपनी स्पीड़ बढ़ाने के लिए एक से दो मिनट का समय लगता है।

पिछले माह ही पूरा कर लिया काम : कमल यादव

चीफ रेलवे सेफ्टी शैलेंद्र कुमार पाठक के साथ भरोली जंक्शन स्टेशन पर पहुंचे टीआरडी विभाग के सीनियर सेक्शन इंजीनियर कमल यादव ने बताया कि अमृतसर से भरोली जंक्शन तक ट्रैक को इलेक्ट्रिफिकेशन में तबदील करने का काम विगत माह ही पूरा कर लिया गया था। आज चीफ रेलवे सेफ्टी के नेतृत्व में अमृतसर से भरोली तक बने 104 किलोमीटर लंबे इलेक्ट्रिक ट्रैक का निरीक्षण किया गया है। उनका कहना है कि ट्रायल के दौरान किसी किस्म की कोई परेशानी नहीं आई है लेकिन, जब तक दिल्ली मुख्यालय से फिट का सर्टीफिकेट नहीं मिलता तब तक इलेक्ट्रिक ट्रेनों की बजाय रुटीन में डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेनें ही ट्रैक पर दौड़ेगी। उन्होंने कहा कि, डीजल इंजन के मुकाबले इलेक्ट्रिफिकेशन ट्रैक होने पर रेलवे को प्रति माह लाखों रुपए की बचत होती है। डीजल मंहगा होता है और उससे वातावरण भी प्रदूषित होता है। इलेक्ट्रिक इंजन सस्ता पढ़ता है और वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता। मजेदार बात यह है कि इलेक्ट्रिक इंजन रनिग के दौरान खुद भी बिजली जेनरेट कर लेता है। वैसे तो रेलवे के सभी स्टेशनों पर 24 घंटे बिजली सप्लाई होती है लेकिन इलेक्ट्रिक ट्रैक पर 24 घंटे बिजली सप्लाई यकीनी होती है।

chat bot
आपका साथी