कोरोना संकट में आम-लीची के कारोबार पर संकट

कोरोना संकट ने फलों के राजा आम और लीची की मिठास फीकी कर दी है। लॉकडाउन के चलते जिला पठानकोट के बागान मालिकों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 04:19 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 04:19 PM (IST)
कोरोना संकट में आम-लीची के कारोबार पर संकट
कोरोना संकट में आम-लीची के कारोबार पर संकट

संवाद सहयोगी, मामून : कोरोना संकट ने फलों के राजा आम और लीची की मिठास फीकी कर दी है। लॉकडाउन के चलते जिला पठानकोट के बागान मालिकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्हें डर है कि अगर लाकडॉउन नहीं खुला तो आम की फसल का रेट नहीं बनेगा और इन्हें बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। पिछले साल चमकी बुखार ने लीची की फसल का भाव खराब कर दिया था। अब आए दिन चल रही तेज हवाओं के कारण आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। आम और लीची के बागान मालिकों ने बताया कि पिछले वर्ष लीची का भाव अच्छा था। मगर चमकी बुखार आने के कारण लीची का भाव खत्म हो गया और लोग इसे खाने से परहेज करने लगे और बागान मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। अब कोरोना वायरस के कारण पूरे भारत में लगा लॉकडाउन ने लीची के बागान मालिकों की हालत खराब कर दी है।

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सरकार करे लीची खरीद के पुख्ता प्रबंध

गाव पडियालाहडी के बागान मालिक एडवोकेट ठाकुर रविंद्र सिंह ने बताया कि सरकार ने जिला पठानकोट को लीची जोन घोषित किया हुआ है। सरकार को चाहिए कि ऐसी हालात में बागानों से ही लीची खरीदी जाए।

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मंडियों तक फसल पहुंचाने की व्यवस्था हो

गाव दरंग कोठी के अरुण सिंह का कहना है कि सरकार समय रहते बागानों की फसल को देश की मंडियों तक पहुंचाने की व्यवस्था करें। ऐसा न होने से बागान मालिक तबाह हो जाएंगे।

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संकट में सरकार का ही सहारा

गाव करौली के रहने वाले पुष्पेंद्र पठानिया ने कहा कि लाकडॉउन और क‌र्फ्यू के कारण पहले ही बागानों में फसल नष्ट हो चुकी है। अब आम और लीची की फसल बेचने का संकट बन गया है। सरकार इस तरफ भी ध्यान देकर बागवानों को नुकसान से बचाए।

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24500 मीट्रिक टन होता है आम का उत्पादन

बागवानी विभाग के डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में 1699 हेक्टेयर लीची का रकवा है। पिछले वर्ष लीची का उत्पादन 16348 मीट्रिक टन पैदावार हुई थी। इसी तरह जिले में 2063 हेक्टेयर भूमि में आम की पैदावार होती है और इसका उत्पादन 24500 मीट्रिक टन होता है।

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