मिल बैठकर सुलझाएं किसानों की समस्या

केंद्र सरकार के पास किए खेती सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले किसानों व सियासी पार्टियों की वजह से माहौल गर्म है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 04:50 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:46 PM (IST)
मिल बैठकर सुलझाएं किसानों की समस्या
मिल बैठकर सुलझाएं किसानों की समस्या

जयदेव गोगा, नवांशहर: केंद्र सरकार के पास किए खेती सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले किसानों व सियासी पार्टियों की वजह से माहौल गर्म है। पंजाब में करीब एक साल बाद विधानसभा चुनावों का बिगुल बज जाना है, जिसकी वजह से कोई भी सियासी दल किसानों को नाराज नहीं करना चाहता। उधर हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि रेल व सड़क यातायात रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। जिले के विभिन्न जिलों ने राज्य के प्रदर्शनकारियों को मिल बैठकर समस्या का हल करने का आग्रह किया है। पूर्व एमसी शिव कुमार तेजपाल का कहना है कि किसान आंदोलन संबंधी धरने के लिए दिल्ली में जगह देने की पेशकश ठुकराए जाने से राजधानी दिल्ली जाम से परेशान हैं। कुछ मेट्रो के रूट भी बंद रहे। दिल्ली में आकर डटे हुए ज्यादातर किसान पंजाब के हैं, जो कि वहां पहले से धरना प्रदर्शन करने में लगे हैं। लोगों के मन में यह सवाल भी है कि अगर नए कृषि कानून वास्तव में किसानों के लिए अहितकारी है, तो फिर देश के अन्य हिस्सों के किसान पंजाब की रह पर चलना पसंद क्यों नहीं कर रहे हैं। क्या बातचीत से इसका हल नहीं निकाला जा सकता। समाजसेवी रतन कुमार जैन का कहना है कि नए कृषि कानूनों में अनाज खरीद की पुरानी व्यवस्था में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है, सिर्फ नए कानून के जरिए एक वैकल्पित व्यवस्था को आकार दिया गया है। अगर किसानों को पहले वाली व्यवस्था ठीक लगती है, तो वह नए विकल्प की बजाए, पुराने विकल्प को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं। मनोज कंडा ने कहा कि पंजाब के किसान संगठनों को यह जरूर देखना चाहिए कि जबकि लगभग पूरे देश भर के किसानों को नए कानूनों से कहीं कोई समस्या नहीं है, तो फिर उनके विरोध का औचित्य क्या है। उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि राजनीतिक दलों के बहकावे में आकर, नए कृषि कानूनों का विरोध करके क्या वे अपने ही अहित का रास्ता तो नहीं बना रहे। अश्वनी बलग्गन का कहना है कि किसानों को आढ़तियों के संगठनों के हाथों का खिलौना बनने के बजाय नई व्यवस्था के बारे में निष्पक्ष ढंग से विचार करना चाहिए। जब केंद्र सरकार बार-बार यह कह रही है कि वह किसानों से बातचीत के लिए तैयार है, तो किसानों को अपनी शंकाओं का हल बातचीत के द्वारा ही करना चाहिए।

बहादुर चंद अरोड़ा ने कहा कि धरना प्रदर्शन और सड़कें जाम करना अपनी बात करने का सही तरीका नहीं हो सकता। पंजाब के किसानों के आंदोलन के पीछे संकीर्ण राजनैतिक स्वार्थ जुड़े हो सकते हैं। किसानों को नए कानूनों से कहीं कोई समस्या नहीं है। बातचीत द्वारा गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

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