शादी के लिए दबाव डालने पर लक्ष्मण ने काटी सूर्पणखा की नाक

नवांशहर के पंडित जय दयाल ट्रस्ट घास मंडी मंदिर में करवाई जा रही श्री रामलीला के आठवें दिन श्री राम लक्ष्मण व माता सीता जी पंचवटी आश्रम श्री वाल्मीकि जी के पास रहने लगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 05:55 PM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2019 05:55 PM (IST)
शादी के लिए दबाव डालने पर लक्ष्मण ने काटी सूर्पणखा की नाक
शादी के लिए दबाव डालने पर लक्ष्मण ने काटी सूर्पणखा की नाक

जेएनएन, नवांशहर : नवांशहर के पंडित जय दयाल ट्रस्ट घास मंडी मंदिर में करवाई जा रही श्री रामलीला के आठवें दिन श्री राम, लक्ष्मण व माता सीता जी पंचवटी आश्रम श्री वाल्मीकि जी के पास रहने लगे। कुछ समय बाद वहां सुंदर नारी सूर्पणखा अचानक आ गई। वह भगवान राम के कुछ बातचीत करने लगी। इतने में राम ने सूर्पणखा को लक्ष्मण के पास भेज दिया। सूर्पनखां लक्ष्मण जी से कहने लगी, है स्वामी आप मुझ से शादी रचा लो। लक्ष्मण के बार-बार इन्कार करने पर वह नहीं समझी तो लक्ष्मण ने उसके नाक व कान काट डाले। इसके बाद सूर्पनखां अपने भाई खरदूशण के पास पहुंची। तो खरदूशण ने बहन से पूछा आपका यह हाल किसने किया। सूर्पणखा ने कहा, भाई पंचवटी आश्रम में दो तपस्वी आए हैं। छोटे तपस्वी ने मेरा यह हाल किया है। खरदूशण अपनी सेना सहित पंचवटी आश्रम गया। वहां भगवान राम ने एक ही बाण से उसकी सेना और उसका विनाश कर डाला। सूर्पणखा अपने बड़े भाई रावण के पास गई और घबरा कर बोली, भाई मेरी हालत देखकर आपको तरस नहीं आ रहा है। इतने में रावण अहंकार से बोला, बता बहन तेरी यह हालत किसने की है। सूर्पणखा रोकर बोली, भाई पंचवटी में दो तपस्वी आए हैं, छोटे तपस्वी लक्ष्मण ने मेरा यह हाल किया है। रावण और अधिक क्रोधित हो गया। उसने मारीच को बुलाकर पंचवटी भेजा। मारीच ने रूप बदला और सोने का मृग बनकर पंचवटी जाकर घूमने लगा। सीता-माता ने देखा तो भगवान राम जी से प्रार्थना की, स्वामी मुझे यह मृग बहुत अच्छा लग रहा है। इसको लेकर आओ। भगवान राम मृग को मारने गए और लक्ष्मण को सीता माता की रक्षा के लिए छोड़ा। कुछ समय बाद रावण साधु का रूप धारण करके माता सीता का हरण करके ले गया। रास्ते में जटायू को पता लगा तो जटायू ने अपनी चोंच से रावण पर वार किया। रावण ने जटायू के दोनों पंख काट डाले। इसके बाद माता सीता को अशोक वाटिया पहुंच दिया। इसके बाद भगवान राम माता-सीता की खोज में किसकिधा पर्वत के समीप पहुंचे। वहां हनुमान और सुग्रीव से उनकी भेंट हुई। भगवान राम ने हनुमान जी को माता सीता की खोज के लिए भेज दिया। हनुमान जी ने अशोक वाटिया को उजाड़ डाला। इस रावण के मंत्री हनुमान को बंदी बनाकर ले गए। इसके बाद हनुमान पूंछ में आग लगा दी और सारी लंका जलाकर भस्म कर दी। हनुमान जी समुद्र में पूंछ की आग को बुझाकर श्रीराम के पास पहुंच गए।

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