संतोषी माता मंदिर के प्रति श्रद्वालुओं में है अगाध आस्था

कोटकपूरा के हरिनौ फाटक के पास बने संतोषी माता के मंदिर का इतिहास 1969 से है। इस मंदिर वाली जगह को पहले डेरा सीताराम छप्पड़ कहा जाता था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Jun 2020 10:08 PM (IST) Updated:Thu, 18 Jun 2020 10:08 PM (IST)
संतोषी माता मंदिर के प्रति श्रद्वालुओं में है अगाध आस्था
संतोषी माता मंदिर के प्रति श्रद्वालुओं में है अगाध आस्था

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा : कोटकपूरा के हरिनौ फाटक के पास बने संतोषी माता के मंदिर का इतिहास 1969 से है। इस मंदिर वाली जगह को पहले डेरा सीताराम छप्पड़ कहा जाता था। 1969 में सेठ हरि चंद गोयल और उनके साथियों की तरफ से मन्दिर संतोषी माता बजरंग भवन का शिलान्यास रखा गया। मन्दिर में विधिवत माँ संतोषी की मूर्ति की स्थापना 1973 में विमला कुमारी पुत्री जगन्नाथ ने करवाई।

श्रद्धालु बताते हैं कि 1974 में फिल्म जय संतोषी मां आई तो यह फिल्म खूब चली। उन दिनों क्या गांव और क्या शहर तब सब जगह माँ संतोषी के प्रति श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा था। घर-घर में हर शुक्रवार महिलाएं व्रत रहने लगी थीं। टोले के टोले में संतोषी मां की व्रत कथा का आयोजन होता फिर गुड़-चने के प्रसाद का वितरण भी होता, लड़कियों से लेकर बड़ी बूढ़ी महिलाएं तक 16 शुक्रवार व्रत रखकर मां का उद्यापन करती थीं।

1988 से इस मंदिर में पंडित जगदीश प्रसाद पुजारी हैं जो इन दिनों अपने बेटे के साथ मंदिर की पूजा व्यवस्था संभाले हुये हैं। उन्होंने बताया कि आज भी बहुत सी महिलाएं शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के साथ मां संतोषी की भी अराधना करती हैं। माता संतोषी के व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मन्दिर में नवग्रह शनिदेव मन्दिर, राम दरबार, राधा कृष्ण, हनुमान जी, भव्य शिवालय, परशुराम, माँ भगवती समेत अन्य भी देवी देवताओं की मूर्तियां विराजमान हैं। शुक्रवार माँ संतोषी की आराधना तथा सुबह शिवालय में जल चढ़ाने वाले भक्तों के अलावा मन्दिर में बने शीतला माता मंदिर में भी शीतला अष्टमी के दिन भारी भीड़ जमा होती है। मंदिर कमेटी के प्रधान ढोढा हाउस वाले सुखदेव राज विग हैं। मन्दिर की प्रबंधकीय व्यवस्था देख रहे चंद्र मोहन मित्तल ने बताया कि संतोषी माता मंदिर से जुड़े बजरंग भवन को नाममात्र व्यवस्था शुल्क लेकर सात्विक और धार्मिक प्रोग्राम के आयोजन के लिए दिया जाता है। मन्दिर हर किस्म की राजनीति से दूर रहता हैं। बजरंग भवन में हर वर्ष साप्ताहिक श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन भी होता है।

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