परिवार के लिए सुरक्षा कवच होता है महिला का पतिव्रत धर्म

श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत छठवें दिन भी प्रवचन जारी रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 03:08 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 05:52 PM (IST)
परिवार के लिए सुरक्षा कवच होता है महिला का पतिव्रत धर्म
परिवार के लिए सुरक्षा कवच होता है महिला का पतिव्रत धर्म

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत छठवें दिन महात्म्य सुनाते हुए स्वामी कमलानंद जी ने तुलसी की उत्पति एवं विषेशताओं के बारे में बताते हुए कहा कि महिला का पतिव्रत धर्म पूरे परिवार के लिए सुरक्षा कवच की तरह होता है। वृंदा इसी प्रकार की महान पतिव्रता नारी थी।

उन्होंने कहा कि जलंधर नाम का दैत्य अनेक पतिव्रता नारियों का धर्म नष्ट कर रहा था। पूरे समाज की महिलाओं का धर्म बचाने के लिए भगवान नारायण को अवतार धारण करना पड़ा। स्वामी ने कहा कि यदि एक घर के नष्ट होने से पूरे प्रांत की रक्षा होती है। एक व्यक्ति के धर्म से पतित होने से पूरे देश के धर्म की रक्षा होती है तो धर्म की रक्षा ही करनी चाहिए। वृंदा ने भगवान नारायण को श्राप दिया कि तुम पत्थर बन जाओ। भगवान ने श्राप को मिटाया नहीं शालिग्राम बनकर प्रकट हो गए और भगवान नारायण ने कहा वृंदे तुमने मुझे श्राप दिया और मैं तुम्हें वरदान दूंगा। संसार के नर-नारी मेरा पूजन करते हैं। मेरे दर्शन पाने के लिए, मेरे नजदीक रहने के लिए लालायित रहते हैं। लेकिन तुम एक ऐसी महान नारी हो जिसने पति के सामने भगवान को भी कुछ नहीं समझा और श्राप दे दिया। मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं, तुमने जो मुझे श्राप दिया है उसके बदले में मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि जब तक तेरा पत्ता मेरे सिर के ऊपर नहीं चढ़ेगा तब तक मेरे सिर में दर्द बना रहेगा। यदि मैं शालिग्राम बनता हूं तो तुम्हें गंडकी नदी बनना पड़ेगा। सारे शालिग्राम गंडकी नदी में से पैदा होते हैं। तुम नदी बनो और मैं चौबिसों घंटे तुम में डूबा रहना चाहता हूं। कोई भक्त उठा कर लाएगा और पूजन में रखेगा, तब तुलसी के पत्ते के रूप में तुम्हारी ही पूजा होगी। मैं तुम्हें एक रूप से गंडकी नदी बना रहा हूं और दूसरे रूप से तुलसी का पौधा बना रहा हूँ। तुम्हारी पत्तों से मेरी पूजा होगी, जो शालिग्राम पर तुलसी अर्पण नहीं करेगा उनको बड़ा दोष लगेगा। पूजा में कुछ हो या न हो तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए।

महाराज ने कहा कि जिस प्रकार भगवान शंकर की पूजा के लिए बेलपत्र आवश्यक है वैसे ही नारायण की पूजा के लिए तुलसी अनिवार्य है। स्वामी जी ने कहा कि वृंदा के आग्रह पर भगवान नारायण शंखचूड़ की हड्डियों से (जिसका एकनाम जलंधर था) शंख बनाया। आज भी हम देखते हैं कि भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म होता है, यह वही शंख है जो शंखचूड की हड्डियों से बना था। शंख भी भगवान को प्रिय है। तुलसी भी भगवान को प्रिय है। नारायण स्वयं बने शालिग्राम, शंखचूड़ की हड्डियों से बना शंख और वृंदा स्वयं बनी तुलसी, जिसके घर में तीनों चीजें होती हैं उसके यहां लक्ष्मी का निरंतर वास होता है। इस मौके बड़ी गिनती में श्रद्धालु मौजूद थे।

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