कोरोना काल में 50 फीसद पर पहुंचा कैटल फीड का व्यापार

मोगा कोरोना महामारी के कारण गत छह माह में हर व्यापार सहित कैटल फीड के व्यापारी भी प्रभावित हुए हैं। उनका व्यवसाय इन छह महीनों में 50 फीसद सिमट गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:12 AM (IST)
कोरोना काल में  50 फीसद पर पहुंचा कैटल फीड का व्यापार
कोरोना काल में 50 फीसद पर पहुंचा कैटल फीड का व्यापार

अश्विनी शर्मा, मोगा

कोरोना महामारी के कारण गत छह माह में हर व्यापार सहित कैटल फीड के व्यापारी भी प्रभावित हुए हैं। उनका व्यवसाय इन छह महीनों में 50 फीसद सिमट गया है। इसका मुख्य कारण लाकडाउन के दौरान व्यवसाय का मुख्य रूप से नकदी पर ही लना रहा। मंदी के कारण व्यापारियों ने जमीदारों को उधारी देना बंद कर दिया। ऐसे में जमीदारों ने भी कैटल फीड खरीदना कम कर दिया और अधिकतर ने अपने पशुओं को पड़ोसी राज्यों में भी बेच दिया। वहीं कैटल फीड की कीमतों में कमी आने के बावजूद लोग अभी तक पशुओं के लिए कैटल फीड खरीदने में ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखा रहे हैं।

बता दें कि मोगा को कैटल फीड की प्रमुख मंडी माना जाता है। हालांकि यहां पर अलग से इसकी मंडी नहीं है, लेकिन यहां पर इसका व्यापार खूब होता रहा है। मगर, कोरोना काल में ऐसा नियमित रूप से संभव नहीं हुआ और वहीं लोगों ने भी पर्याप्त मात्रा में इस बार कैटल फीड नहीं खरीदी है। हालांकि इसकी मंडी अलग से नहीं होती, लेकिन इसके ब्रोकर इस व्यापार को संभालते हैं।

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200 क्विंटल रोजाना होती थी बिक्री

इस बारे में कैटल फीड ब्रोकर मंगतराम बांसल व सुनील रंगा ने बताया कि पिछले वर्ष इस समय 200 क्विंटल रोजाना कैटल फीड की बिक्री होती थी। मगर, वर्तमान में यह बिक्री 80 से 100 क्विंटल पर आकर सिमट गई है। जिसके चलते उन्हें इस बार बड़ी मंदी की मार को झेलनी पड़ रही है। बता दें कि मोगा जिले में अधिकतर कैटल फीड हरियाणा के करनाल, कुरूक्षेत्र, अंबाला व पानीपत से अधिक मात्रा में आता है। इस बार डिमांड कम होने से फीड पहुंचने के बाद भी कई-कई दिनों तक यह नहीं बिकता है। इसका मुख्य कारण व्यापार का नकदी में चलना है।

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कीमतों में भी आई गिरावट

कैटल फीड ब्रोकर के अनुसार पिछले वर्ष मक्की की कीमत 2000 से 2200 (प्रति क्विंटल) रुपये तक थी, जबकि इस वर्ष 1400 (प्रति क्विंटल) रुपये आ गई है। इसी तरह पिछले वर्ष वीट रिजेक्शन (गेहूं वेस्टेज) 1700 से 1800 (प्रति क्विंटल) रुपये तक बिकी, पर इस बार 1400 से 1500 (प्रति क्विंटल) तक ही कीमत मिल रही है। वहीं राइस वेस्टेज पिछले वर्ष 1200 से 1300 (प्रति क्विंटल) तक बिक जाती थी, लेकिन इस बार 950 से 1000 (प्रति क्विंटल) तक ही कीमतें सिमट गई हैं। जिसका असर संबंधित व्यापारी वर्ग को भी झेलना पड़ रहा है, क्योंकि उनका लाभ फीसद भी घट गया है।

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इसलिए हो रही परेशानी

जिले में कैटल फीड का कार्य करने वाले व्यापारियों का मानना है कि महामारी की वजह से जमींदारों की ओर उधारी बढ़ती गई और नकदी का कार्य रुक गया। जिसके चलते इसका सीधा असर व्यापारी वर्ग पर पड़ा और कैटल फीड की लागत भी कम हो गई तथा मांग कम होने की वजह से कीमतों में भी गिरावट आ गई।

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छह महीने बाद हालत सुधरने की उम्मीद

कैटल फीड ब्रोकर्स को उम्मीद है कि अगले छह महीने तक इस कार्य के हालात सामान्य हो सकते हैं। क्योंकि अगले छह माह तक जमीदारों को दो फसलों के रुपये मिल जाएंगे। इसके बाद वे नियमित रूप से कैटल फीड खरीदेंगे और कैटल फीड की डिमांड बढ़ने सहित ही इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

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