ये है फौजियों का परिवार, पांच पीढ़ियों से हवलदार से लेकर कर्नल तक बन बढ़ाया मान

हरनाम सिंह फौज में हवलदार थे। इसके बाद उनके बेटे सेना में गए और फिर पोते। पोते के बेटे भी फौज में ही रहे। कुल मिलाकर यह पूरी तरह से फौजियों का परिवार है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 09 Aug 2019 07:07 PM (IST) Updated:Sun, 11 Aug 2019 08:59 AM (IST)
ये है फौजियों का परिवार, पांच पीढ़ियों से हवलदार से लेकर कर्नल तक बन बढ़ाया मान
ये है फौजियों का परिवार, पांच पीढ़ियों से हवलदार से लेकर कर्नल तक बन बढ़ाया मान

जगराओं [बिंदु उप्पल]। एक्स सर्विसमैन लीग के प्रधान कर्नल मुख्तियार सिंह के परिवार को सैनिकों वाला परिवार कहा जाता है। इस परिवार की कई पीढ़ियां सेना में रहकर देश की सेवा करती आई हैं। परिवार के सदस्य सेना में हवलदार से कर्नल पद पर रहकर सरहद की रक्षा करते रहे हैं। देश सेवा का ऐसा जज्बा कि अन्य क्षेत्रों में आरामदायक नौकरी मिलने के बावजूद इस परिवार के बेटे सेना में सेवा को ही प्राथमिकता देते हैं।

कर्नल मुख्तियार सिंह के दादा हरनाम सिंह हवलदार थे। उनके दो बेटे अच्छर सिंह कुलार व नछत्तर सिंह कुलार हैं। इनमें एक बेटा अच्छर सिंह कुलार सेना में हवलदार थे। उनके छह बेटों में तीन बेटे सुखदेव सिंह कुलार, बलदेव सिंह कुलार और मुख्तियार सिंह कुलार कर्नल रैंक से रिटायर हुए। कर्नल बलदेव सिंह की तीन बेटियां हैं। उनमें बड़ी बेटी नवरीत कौर कुलार फौज में डॉक्टर थीं। वह मेजर रैंक से वॉलंटियर रिटायरमेंट लेकर अमेरिका चली गई हैं। सेवानिवृत्त कर्नल मुख्तियार सिंह के बेटे दीपइंद्र सिंह कुलार इंडियन नेवी में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हैं। मुख्तियार सिंह के चाचा नछत्तर सिंह के इकलौता बेटे खुशवंत सिंह भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर हैं।

आइटी कंपनी की नौकरी छोड़ बेटे ने ज्वाइन की सेना

बकौल मुख्तियार सिंह, वर्ष 1976 में मिलिट्री कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग में मेरी सीधी भर्ती हुई। तीन वर्ष की ट्रेनिंग लेने के बाद 1979 में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट सेना ज्वाइन की। प्रमोशन पाकर कर्नल पद से जून 2010 में रिटायर हुआ। मेरे रिटायरमेंट के बाद बेटे दीप इंद्र सिंह कुलार ने बीटेक की। उसे मुंबई की आइटी कंपनी में नौकरी भी मिल गई। फिर बेटे ने मुझे कहा मैं फौजी का बेटा हूं। मैं आपकी तरह ही फौज में जाना चाहता हू़ंं, इसलिए उसने इंडियन नेवल अकादमी ज्वाइन कर ली। वह नेवी में लेफ्टिनेंट है।

कर्नल मुख्तियार सिंह अपने दादा स्व. हरनाम सिंह कुलार की तस्वीर के साथ। साथ हैैं उनके चाचा नछत्तर सिंह कुलार, दादी बलवंत कौर व चाची। 

सेना में भर्ती होना बना परिवार की परंपरा

भारतीय सेना में ग्रुप कैप्टन कर्नल खुशवंत सिंह कुलार के पिता नछत्तर सिंह कुलार ने बताया कि खुशवंत ने पंजाब पब्लिक स्कूल नाभा से पढ़ाई कर सीधे नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) में भर्ती हो गया था। उसे वर्ष 1993 में कमीशन मिला। इस समय वह भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन है। उन्होंने कहा कि जिंदगी व मौत परमात्मा के हाथ में है। मेरी और बेटे की इच्छा थी कि परिवार की परंपरा के तहत सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करूं।

सेना में चलती है इंसान की योग्यता: मुख्तियार सिंह

सेवानिवृत्त कर्नल मुख्तियार सिंह कहते हैं कि सेना में पूरी पवित्रता और शुद्धता है। इसमें धर्म, जाति और रंग-भेदभाव नहीं चलता है। यहां केवल इंसान की योग्यता देखी जाती है। सेना देश का ऐसा अंग है, जो कि भ्रष्टाचार मुक्त है। सैनिक अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार रहते हैं। इसके लिए बेशक अपने प्राणों का बलिदान ही क्यों न देना पड़े।

सेना की नौकरी में आराम कम और चिंता अधिक होती है। एक सैनिक को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। उसको परिवार का सुख प्राप्त नहीं होता। वह अपने परिवार से दूर रहता है। पहले देश की रक्षा में ड्यूटी पर तैनाती के समय परिवार से संपर्क का साधन केवल चिटिठ्यां ही होती थी। अब तो सेटेलाइट युग में फौजियों के लिए अपने परिवार से जुड़े रहने का साधन मोबाइल व इंटरनेट हैं।

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