Bhagwat Katha in Ludhiana : स्वामी दयानंद बाेले-जिस घर में श्रीमद्भागवत कथा होती वह बन जाता तीर्थस्थल

सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार अनाचार कटुता व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 08:58 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jan 2021 08:58 AM (IST)
Bhagwat Katha in Ludhiana : स्वामी दयानंद बाेले-जिस घर में श्रीमद्भागवत कथा होती वह बन जाता तीर्थस्थल
श्री बांके बिहारी मंदिर व कमलकुटी आश्रम स्वामी दयानंद काे सम्मानित करते गणमान्य। (जागरण)

लुधियाना, जेएनएन। श्री बांके बिहारी मंदिर व कमलकुटी आश्रम गुरुनानक पुरा सिविल लाइन में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ शुक्रवार को श्री सुंदरकांड पाठ, हवन यज्ञ व भंडारे के साथ समापन किया गया। भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज के मुखारवृंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया।

विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया।  महाराज जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम से अपने को उस अनुरूप आचरण करने को कहा उन्होंने कहा कि जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होता है, इतिहास इसका साक्षी है।

स्वामी दयानंद सरस्वती महराज ने बताया कि भागवत  पठन-श्रवण के लिए दिनों का कोई नियम नहीं है। इसे कभी भी पढ़ा-सुना जा सकता है। मात्र एक, आधे या चौथाई श्लोक के अर्थ सहित नित्य पाठ से अभीष्ट फलों की प्राप्ति हो सकती है।

उन्हाेंने फरमाया कि जिस स्थान व घर  में नित्य भागवत कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है। केवल पठन-श्रवण ही पर्याप्त नहीं- इसके साथ अर्थबोध, मनन, चिंतन, धारण और आचरण भी आवश्यक है। इस प्रकार त्रिविधि दुःखों के नाश, दरिद्रता, दुर्भाग्य एवं पापों के निवारण, काम-क्रोध आदि शत्रुओं पर विजय, ज्ञानवृद्धि, रोजगार, सुख-समृद्धि भगवतप्राप्ति एवं मुक्ति यानी सफल जीवन के संपूर्ण प्रबंधन के लिए भागवत का नित्य पठन-श्रवण करना चाहिए, क्योंकि इससे जो फल अनायास ही सुलभ हो जाता है वह अन्य साधनों से दुर्लभ ही रहता है। आचार्य पंडित राघवेंद्र तिवारी द्वारा संगीतमयी श्री सुंदरकांड पाठ का  गायन किया गया। स्वामी अध्यात्म नंद पुरी महाराज, स्वामी हरीश पुरी महाराज, स्वामी रामेश्वरदास त्यागी महाराज, स्वामी शक्ति नाथ महाराज,

स्वामी योगानंद पुरी महाराज, स्वामी सत्यनारायण गिरी महाराज आदि संतो ने अपने अपने मुखारविंद से प्रवचन किये। लुधियाना संत समाज ने स्वामी दयानन्द सरस्वती को दोशाला पहनाकर समानित किया। स्वामी दयानंद सरस्वती के गाये  "नी मैं नचना श्याम दे नाल "व आज रोनका बेहड तेरे कर के" आदि भजनों पर भक्तजन खूब झूमे।

ये रहे माैजूद

भागवत कथा में बाबू राम भारद्वाज, शीतल गोयल, पार्षद जयप्रकाश शर्मा, पूर्वांचली नेता चन्द्रभान चौहान, सुखविंदर सिंह राणा,सुरेन्द्र नागपाल,लोक नाथ पांडेय,प्रमिला चौहान राजन शर्मा , बोध राज,दीपा , सुनील गुप्ता,  गंगाराम, रेणु, प्रेम, उमा, रीमा , डिंपल, वीना, निर्मला, पूनम , कमलेश , सुमित्रा, प्रियंका, सानिया, मनीषा  रेखा व किरण ने हवन यज्ञ में पूर्णाहुति डाली।   

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