सार्वजनिक बैंक एमएसएमई को संजीवनी देने की राह पर, निजी बैंक कर रहे आनाकानी

कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का बंपर आर्थिक पैकेज विभिन्न क्षेत्रों को दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 05:45 AM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:03 AM (IST)
सार्वजनिक बैंक एमएसएमई को संजीवनी देने की राह पर, निजी बैंक कर रहे आनाकानी
सार्वजनिक बैंक एमएसएमई को संजीवनी देने की राह पर, निजी बैंक कर रहे आनाकानी

राजीव शर्मा, लुधियाना

कोरोना महामारी के कारण केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का बंपर आर्थिक पैकेज विभिन्न क्षेत्रों को दिया। इसमें से एमएसएमई सेक्टर को तीन लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जिसके तहत एमएसएमई सेक्टर को बिना गारंटी लोन दिया जाएगा। इसे लेकर उद्यमियों का तर्क है कि सरकार ने इंडस्ट्री की क्रेडिट लिमिट को 20 फीसद तक बढ़ाने का प्रावधान किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन निजी क्षेत्र के बैंक आनाकानी कर रहे हैं। जबकि कुल लोन में 35 फीसद हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के बैंकों की है। इस समस्या के समाधान के लिए चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल अंडरटेकिग्स ने भारतीय रिजर्व बैंक को पत्र लिख कर निजी बैंकों को भी पैकेज का लाभ देने का आग्रह किया है।

ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 6.3 करोड़ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर की इकाईयां हैं। माइक्रो सेक्टर की करीब 5.88 करोड़ इकाईयां हैं। इस सेक्टर पर करीब 12.50 लाख करोड़ के ऋण का बोझ है। इसमें से 10.8 लाख करोड़ का ऋण बैंकिग सेक्टर ने दिया है। जिसमें से 6.5 लाख करोड़ का लोन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है, जबकि 3.5 लाख करोड़ का ऋण निजी बैंकों से लिया गया है। इसके अलावा 0.8 लाख करोड़ का ऋण विदेशी एवं स्मॉल बैंकों से लिया गया है।

-- सरकारी सर्कुलर के आधार पर दे रहे राहत पैकेज

सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर एचएस संधू का कहना है कि सरकार की ओर से दिए राहत पैकेज को लेकर सरकारी सर्कुलर के आधार पर ही काम किया जा रहा है। ग्राहकों से संपर्क किया जा रहा है। ग्राहक की क्रेडिट लिमिट को नियमों के अनुसार बढ़ाया जा रहा है। जो ग्राहक लिमिट बढ़ाने के लिए आवेदन कर रहा है। उसे तुरंत राहत दी जा रही है। -- सरकारी गाइडलांइस के तहत लोन देने के निर्देश

लीड बैंक मैनेजर अनिल कुमार के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में जिले में एमएसएमई के लिए लोन का लक्ष्य 16465 करोड़ रुपये का था। जबकि बैंकों ने 17303 करोड़ रुपये के लोन देकर 105.08 फीसद लक्ष्य हासिल किया। वित्त वर्ष 2020-21 में एमएसएमई को लोन का लक्ष्य 16417 करोड़ रखा गया है। चालू वित्त वर्ष में क‌र्फ्यू के कारण लोन देने की रफ्तार शुरू में काफी कम रही। मगर, अब इंडस्ट्री खुल रही है और सभी बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार लोन इस सेक्टर को दिए जाएं। -- निजी बैंक नहीं मान रहे निर्देश

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स के प्रधान उपकार सिंह आहूजा का कहना है कि निजी बैंक सरकारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। जबकि सरकारी क्षेत्र के बैंक धीरे-धीरे लोन का काम कर रहे हैं। निजी बैंकों के रवैये को लेकर आरबीआइ को पत्र लिखा गया है। -- उद्यमियों ने भी शुरू किया प्रोसेस

फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल आर्गनाइजेशन के चेयरमैन एवं नीलम साइकिल्स के एमडी केके सेठ ने कहा कि छोटे उद्यमियों की क्रेडिट लिमिट लोकल स्तर पर बढ़ रही है। मगर, बड़े उद्यमियों की लिमिट दिल्ली, मुंबई से बढ़ती है। लिमिट बढ़ाने के लिए उद्यमियों ने भी प्रोसेस शुरू कर दिया है, इससे इंडस्ट्री को कुछ राहत मिलेगी। -- उद्यमी का ट्रैक देख कर बैंक बढ़ा रहे हैं लिमिट

ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के नेशनल प्रेसीडेंट बदीश जिदल ने कहा कि सरकारी बैंक भी उद्यमी का ट्रैक रिकार्ड देख कर ही लिमिट बढ़ा रहे हैं। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना ने इंडस्ट्री को पटरी से उतार दिया। सरकार को लोन देने की बजाये लॉकडाउन के दौरान पहले से लिए कर्ज का ब्याज माफ करना चाहिए। नया लोन रेपो रेट करीब साढ़े चार फीसद ब्याज दर पर दिया जाए। तभी इंडस्ट्री पटरी पर आ सकेगी।

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