पहले आप में उलझी सरकार, लोगों की जेबों पर पड़ा भार, पेट्रोल हुआ 87 के पार

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग को बुझाने के लिए न केंद्र सरकार और न ही सूबा सरकार प्रयास कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 12:42 PM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 12:42 PM (IST)
पहले आप में उलझी सरकार, लोगों की जेबों पर पड़ा भार, पेट्रोल हुआ 87 के पार
पहले आप में उलझी सरकार, लोगों की जेबों पर पड़ा भार, पेट्रोल हुआ 87 के पार

जासं, लुधियाना : देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग को बुझाने के लिए न केंद्र सरकार और न ही सूबा सरकार प्रयास कर रही है। केंद्र ने साफ किया है कि पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम नहीं करेंगे। उधर, पंजाब सरकार ने भी कह दिया है कि जब तक केंद्र ड्यूटी कम नहीं करेगा, सूबा सरकार भी वैट नहीं घटाएगी। साफ है कि पहले आप के चक्कर में आम आदमी पिस रहा है और पेट्रोल ने आज 87 रुपये का स्तर भी तोड़ दिया। लुधियाना में आज पेट्रोल की कीमत 87.09 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 73.49 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई। इससे त्राहिमाम मचा है। आम आदमी की जेब ढीली हो रही है, जबकि उद्यमी कहते हैं कि माल भाड़ा बढऩे से तमाम तरह का कच्चा माल पाच से पंद्रह फीसद तक महंगा हो गया है।

पेट्रोल पर केंद्र सरकार 19.48 रुपये सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और सूबा सरकार करीब 23 रुपये वैट वसूल रही है, जबकि डीजल पर केंद्र सरकार 15.33 रुपये प्रति लीटर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और डीजल पर सूबा सरकार करीब 14.50 रुपये वैट वसूल कर मोटी कमाई कर रही है। लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के प्रधान एससी रल्हन का कहना है कि पेट्रोल एवं डीजल की महंगाई का असर सीधे उद्योग पर हो रहा है। इंजीनियड्क्षरग उद्योग में भी जम कर पेट्रो उत्पादों का उपयोग हो रहा है। इनकी महंगाई के कारण उत्पाद की लागत ढाई से तीन फीसद तक बढ़ गई है। इस वजह से फोर्जिंग का रेट भी बढ़ गया है। फोर्जिंग का उपयोग ऑटो पा‌र्ट्स, साइकिल पा‌र्ट्स समेत कई उद्योगों में हो रहा है। इसे मैनेज करना कठिन हो रहा है। सुस्ती के कारण तैयार माल का रेट नहीं बढ़ पा रहा

ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के प्रधान संदीप जैन का कहना है कि इंडस्ट्री में फेरो एलाय मणिपुर, दक्षिण भारत के राज्यों से आ रहा है। जबकि फायर ब्रिक्स ओडिसा एवं गुजरात से आ रही हैं। इसके अलावा अन्य कच्चा माल भी देश के कोने-कोने से आता है। माल भाड़ा बढऩे से इनकी पहुंच पाच से पंद्रह फीसद तक बढ़ गई है, लेकिन बाजार में सुस्ती के कारण तैयार माल का रेट नहीं बढ़ पा रहा है। ऐसे में कारोबार करना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है, जबकि सरकार अपनी कमाई को कम करने को तैयार नहीं है। इस चक्कर में आम आदमी से लेकर उद्योग जगत समेत सभी परेशान हैं।

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