राम नाम के जाप से ही होगा कल्याण: नरेश सोनी

श्री रामशरणम आश्रम में रविवार को प्रार्थना सभा हुई। इसमें काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Feb 2020 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 03 Feb 2020 04:00 AM (IST)
राम नाम के जाप से ही होगा कल्याण: नरेश सोनी
राम नाम के जाप से ही होगा कल्याण: नरेश सोनी

संसू, लुधियाना : श्री रामशरणम आश्रम में रविवार को प्रार्थना सभा हुई। इसमें काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। सभा में प्रवचन करते हुए नरेश सोनी (भाई साहिब) ने कहा कि राम नाम के जाप से निश्चय ही मनुष्य का कल्याण होता है और वह भव सागर से पार हो जाता है।

राम नाम का सिमरन हमेशा जीवन में सहायता करता है। सुख संपदा के सब साधन यहीं रह जाने हैं, साथ तो केवल राम नाम की पूंजी ही जाएगी। इसलिए हमें अधिक से अधिक राम नाम का सिमरन करना है। हम बड़भागी हैं जो हमें श्री महाराज से राम नाम का महाशक्तिशाली महामंत्र मिला। नरेश सोनी ने कहा कि राम भक्त के कार्य कभी रुकते नहीं, अटकते नहीं। श्री राम सदा अपने भक्त के मार्गदर्शक होते हैं। गुरु से मिला राम नाम का मंत्र हमें अंधेरे से निकल कर उजाले की ओर ले कर जाता है। गुरु हमें राम से मिला सकता है। गुरु कृपा के बिना मोक्ष संभव नही है। जब सत्संग में जाने का मन करे तो मान लेना कि अच्छा समय आने वाला है।

उन्होंने अष्टावक्र के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि अष्टावक्र महा ज्ञानी थे, पर उनके अंग टेड़े-मेढे़ थे। एक दिन वह जनक जी की सभा मे गए। उनके तेज को देखकर जनक जी उनके आदर में खड़े हो गए। जनक जी को खड़े देखकर उपस्थित सभी सभासद भी खड़े हो गए। पर जब उन्होंने अष्टावक्र के टेढ़े मेढे़ अंग देखे तो वह सब बैठ गए। उन्होंने सोचा जनक जी ने उनके साथ उपहास किया है। सभासदों के इस व्यवहार को देख अष्टावक्र ने इसे अपना अपमान माना और वह वापस जाने लगे। जनक जी ने उनको रोक कर वापस जाने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा जहां मन की सुंदरता न देख शारीरिक सुंदरता देखी जाए, मुझे ऐसी सभा में नहीं रुकना। यह सुनकर और उनके ज्ञान को देख सभी सभासदों ने उनसे क्षमा मांगी और उनसे ज्ञान देने की प्रार्थना की। इस पर अष्टावक्र महाराज ने उन्हें क्षमा करते हुए कहा कि हमें यह जो जीवन मिला है वह अनमोल है। इसे राम नाम के जप सिमरन में लगाना है।

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