गर्भवती महिला की डिलीवरी के लिए दाई पर विश्वास, सुविधाओं पर अविश्वास Punjab news

सरकारें गर्भवती महिलाओं के प्रसव को अस्पतालों में कराने के कई प्रयास कर रही हैं लेकिन पंजाब के लुधियाना में अभी भी घरों में प्रसव हो रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 12 Sep 2020 11:53 AM (IST) Updated:Sat, 12 Sep 2020 01:16 PM (IST)
गर्भवती महिला की डिलीवरी के लिए दाई पर विश्वास, सुविधाओं पर अविश्वास Punjab news
गर्भवती महिला की डिलीवरी के लिए दाई पर विश्वास, सुविधाओं पर अविश्वास Punjab news

लुधियाना [आशा मेहता]। केंद्र और पंजाब सरकारों की ओर से वर्षों से संस्थागत प्रसव (Delivery) को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं (Pregnant woman) को घर से सरकारी अस्पताल लाने व छोड़ने की सुविधा के अलावा प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके बावजूद लोग स्वास्थ्य विभाग पर भरोसा नहीं कर रहे हैं और घरों में प्रसव करवा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा अप्रैल 2019 से मार्च 2020 और 2020 अप्रैल से 20 जुलाई तक तैयार की रिपोर्ट से पता चलता है कि अब भी जिले में बच्चों की किलकारियां दाइयों के हाथों गूंज रही हैं। हैरानी की बात है कि देहाती इलाकों की तुलना में सिटी में सबसे अधिक होम डिलीवरी (Home delivery) हो रही है, जहां तमाम तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। यह हाल तब है, जब घरेलू प्रसव में हजारों खतरे हैं।

घरेलू प्रसव के दौरान संक्रमण का खतरा रहता है और जटिलता आने पर तुरंत डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते। इस वजह से कई बार जच्चा-बच्चा की जान खतरे में पड़ जाती है। हालांकि, सेहत विभाग के अधिकारी घरेलू प्रसव के आंकड़ों को जागरूकता के माध्यम से आने वाले समय में कम करवाने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन यह कब पूरे होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।

जिले में घरों में तीन फीसद प्रसव

अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के आंकड़े

कुल प्रसव 53250 सरकारी अस्पतालों में - 21,323 निजी अस्पतालों में - 30, 392 घरों में प्रसव - 1535 शहरी एरिया में घरों में प्रसव - 1235 ग्रामीण एरिया में घरों में प्रसव - 300

अप्रैल 2020 से 20 जुलाई तक - 14,746 प्रसव सरकारी अस्पतालों में - 5360 निजी अस्पतालों में - 8923 घरों में डिलीवरी केस - 463 शहरी एरिया में 380 केस ग्रामीण एरिया में 83 केस

पिछले तीन सालों में घरों में हुए डिलीवरी केस साल 2017-18 में जिले में 5.7 फीसद घरेलू प्रसव हुए साल 2018-19 में घटकर 4 फीसद घरेलू केस हुए वर्ष 2019-20 में यह तीन फीसद केस रहे गए

अशिक्षित महिलाएं ही घरों में करवा रही प्रसव: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. राजेश बग्गा कहते हैं कि घरों में प्रसव होना ङ्क्षचतनीय है। सेहत विभाग अलग अलग तरह के जागरूकता अभियानों से पूरी कोशिश कर रहा है कि सभी प्रसव अस्पतालों में हो। विभाग की एएनएम व आशा वर्कर महिलाओं को अस्पतालों में प्रसव करवाने को लेकर जागरूक कर रही हैं। खासकर, उन इलाकों में जहां माइग्रेटरी पॉपुलेशन अधिक रहती है, क्योंकि इन इलाकों में ही घरों में प्रसव हो रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वहां पर ज्यादातर अशिक्षित लोग हैं। देखने में आया है कि पति गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में जाने से रोकते हैं और ट्रेडिशनल दाई के हाथों डिलीवरी करवाते हैं। इससे बहुत बार गर्भवती व गर्भ में पल रहे शिशु की जान को खतरा बन जाता है।

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