सत्त साहित्य से होता है जीवन का उत्थान : मुनि पीयूष

सिविल लाइन एस एस जैन स्थानक में उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि महाराज ने संक्रांति पाठ सुनाते हुए कहा कि सद्ग्रंथों का अवलोकन (स्वाध्याय) मन को निरोग करता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 07:24 PM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 07:24 PM (IST)
सत्त साहित्य से होता है जीवन का उत्थान : मुनि पीयूष
सत्त साहित्य से होता है जीवन का उत्थान : मुनि पीयूष

संस, लुधियाना : सिविल लाइन एस एस जैन स्थानक में उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि महाराज ने संक्रांति पाठ सुनाते हुए कहा कि सद्ग्रंथों का अवलोकन (स्वाध्याय) मन को निरोग करता है। यह मन को माधुर्य से भरता और पवित्र बनाता है। सज्जनों की संगति चौथाई घड़ी में भी जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर देती है। सद्संगति हर समय नहीं मिलती। अत: जब हमें सत्संगति न मिले तो हमें सद्ग्रंथों का स्वाध्याय करना चाहिए।

सद्ग्रंथों की संगति हर समय, हर स्थान, हर स्थिति में उपलब्ध होती है। सद्ग्रंथों की संगति से महापुरुषों की संगति से भी ज्यादा लाभ उठाया जाता है। दिन भर में जितनी बार व्यक्ति चाहे, उनसे यथोचित शका समाधान कर सकता है। साहित्य पाठन का आनंद बड़ा ही निराला होता है। ऐसी पुस्तकें पढ़ी जाएं, जिनसे मानवता का पाठ सीखा जाए। तप, जप, अहिंसा की प्रेरणा देने वाले ग्रंथ पठनीय होते हैं। बुरा साहित्य पढ़ने से व्यक्ति का उत्थान नहीं, बल्कि पतन होता है। मुनि जी ने कहा कि जिस साहित्य से आध्यात्मिक और नसिक तृप्त हो, वहीं सत्त-साहित्य पढ़ने योग्य हैं। इस अवसर पर मानव रत्न रामकुमार जैन, अरिदमन जैन, प्रमोद जैन, रजनीश जैन गोल्ड स्टार, विनोद जैन गोयम, सुरेश जैन सुर्दमा, विजय जैन जैनपैकेवल, रविंदर जैन भ्राता आदि उपस्थित थे।

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