डीजल की बचत के लिए Indian Railway की बड़ी पहल, बैटरी से चलने वाला Locomotive बनाकर किया कमाल
रेलवे ने आत्मनिर्भरता की अाेर कदम बढ़ाए हैं। तैयार लोको का उपयोग यार्ड व लोको शेड में शंटिंग के लिए किया जाएगा। इस उपकरण से रेलवे में बिजली व डीजल की पूर्णतः बचत होगी।
लुधियाना, [डीएल डॉन]। फिरोजपुर मंडल के विद्युत लोको शेड लुधियाना ने बैटरी से चलने वाला लोकोमोटिव बनाकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। इस उपकरण की खासियत यह है कि इससे 15 किलोमीटर की स्पीड से शंटिंग का कार्य किया जा सकता है। लुधियाना रेलवे के डायरेक्टर तरुण कुमार ने बताया कि इसका उपयोग ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन के साथ-साथ क्षेत्र में भी किया जा सकता है, जहां पर ओवरहेड लाइन नहीं है।
इस तरह लोको का उपयोग और डीजल की खपत को कम किया जाएगा। इस लोको का निर्माण खराब/ पुराने हो चुके विद्युत लोको को कन्वर्ट कर ओएचई के साथ-साथ बैटरी से भी चलने वाला बनाया गया है। जिससे इसका उपयोग नोन इलेक्ट्रिफिकेशन पटरियों पर भी दौड़ सकेगा।
यार्ड व लोको शेड में शंटिंग के लिए किया जाएगा उपयाेग
इस लोको का उपयोग यार्ड व लोको शेड में शंटिंग के लिए किया जाएगा। इस उपकरण से रेलवे में बिजली व डीजल की पूर्णतः बचत होगी। इससे रेलवे का लोको शेड में हो रहे भारी खर्च कम हो पाएगा। उन्होंने कहा कि नॉर्दन रेलवे की ओर से निर्देश है कि जहां भी बिजली और डीजल की खपत है। उस जगह पर बैटरी से संचालित लोकोमोटिव उपकरण इस्तेमाल किया जाएताकि रेलवे लोको शेड व अन्य जगहों पर इस उपकरण से कारगर व्यवस्था बहाल हो सके।
ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन मेंटेनेंस में कारगर साबित
ट्रेनों के परिचालन में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन का खास महत्त्व है ट्रेनों के निरंतर आवागमन से ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में अकसर गड़बड़ी होती रहती है। इसके मेंटेनेंस के लिए ट्रांसमिशन लाइन मरम्मत टीम को डीजल इंजन या इलेक्ट्रिक इंजन का योग करना पड़ता है। जिस जगह पर ट्रांसमिशन लाइन खराब होती है वहां तक इंजन चले जाते है। उसके बाद कभी ऐसा भी गड़बड़ी साबित हो जाता है।
अब बैटरी से संचालित लोकोमोटिव उपकरण के उपयोग से मरम्मत करने वाली टीम को आने वाली परेशानियों से निजात मिल गई है। ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन मरम्मत के साथ अन्य फाल्ट को ठीक करने में यह उपकरण कारगर साबित हो रहा है।