नेताजी पंजाब अधिकार यात्रा में निकले, घर में मचा काेहराम, पढ़ें, लुधियाना की अाैर राेचक खबरें
हालांकि अकाली दल और मजबूरी में आम आदमी पार्टी ने भी नेताजी को घेरा लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस ने इस मामले में अपना साफ्ट कार्नर दिखाया। उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से गुरेज किया। नेताजी ने अपने समर्थकों की ड्यूटी लगा दी।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। कुछ नेता अपने घर में कोहराम मचा होने के बावजूद यात्रा पर निकल जाते हैं। कुछ ऐसा ही लुधियाना के विधायक सिमरजीत बैंस के साथ हुआ। नेताजी पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए पंजाब अधिकार यात्रा में निकले और पीछे से उन पर महिला ने यौन शोषण का आरोप लगा दिया। अब नेताजी जिले से बाहर थे और उनके गृह नगर में राजनीति में कोहराम मच गया।
हालांकि अकाली दल और मजबूरी में आम आदमी पार्टी ने भी नेताजी को घेरा, लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस ने इस मामले में अपना साफ्ट कार्नर दिखाया। उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से गुरेज किया। शहर में हो रहे राजनीतिक हमलों का सामना करने के लिए नेताजी ने अपने समर्थकों की ड्यूटी लगा दी और उनकी अनुपस्थिति में उनके समर्थकों ने मोर्चा संभाले रखा। वहीं नेताजी ने लौटते ही सारे ड्रामे पर सत्तापक्ष पर इस साजिश का आरोप लगाते हुए घेर लिया।
मंत्री जी आराम तो कर लेते
नेताओं को लोगों में पैठ बनाने के लिए आखिर नंबर बनाने पड़ते हैं। यही तो उनका वोट बैंक होता है। सवा साल बाद विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में मतदाताओं को बताना भी तो होता है कि वह उनके लिए कितने सक्रिय रहते हैं। भारत भूषण आशु लुधियाना से एकमात्र मंत्री हैं। उन्हें अपने विभाग का पूरे पंजाब का कामकाज देखना होता है, लेकिन वह शहर की गलियों और नालियों के निर्माण को लेकर भी एक्टिव रहते हैं। मंत्री जी को कुछ दिन पहले कोरोना हो गया।
सभी कार्यक्रम रद हो गए। मंत्री जी अस्पताल में रहे तो पार्षद पत्नी ने उनकी जिम्मेदारियां संभाल बैठकों में शिरकत की। अस्पताल से छुट्टी मिलते ही मंत्री महोदय सीधा लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए गलियों तक पहुंच गए। इश पर लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा कि नेता जी की ऐसी क्या मजबूरी थी, पहले अच्छे से आराम तो कर लेते।
अपनी सरकार में सड़क नसीब नहीं
अकसर ऐसा होता है कि जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो उनके नेताओं के काम तुरंत होने शुरू हो जाते हैं। इतना ही नहीं, वह लोगों के काम करवाने के लिए बाकायदा प्रशासनिक और निगम अफसरों पर धौंस भी जमाते हैं। अब लुधियाना के छह बार के विधायक राकेश पांडे ने पहले तो अपने नर्म व्यवहार से अफसरों को अपने विधानसभा हलके में काम करवाने का दबाव बनाया। फिर भी काम नहीं बना तो उन्होंने नगर निगम के कमिश्नर से लेकर अफसरों तक पर धौंस जमाई।
इसके बाद उनके विधानसभा क्षेत्र हैबोवाल व आसपास के क्षेत्रों में सड़कें व गलियों-नालियों का काम भी हुआ, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विधायक पांडे अपने कार्यालय के सामने वाली सड़क का एक छोटा सा हिस्सा ही नहीं बनवा पाए। उसके आसपास दोनों तरफ सड़क बन गई, लेकिन वह हिस्सा आज भी विधायक जी को मुंह चिढ़ा रहा है।
स्टेशन से तिरंगा गायब हो गया
पहले कोविड-19 के प्रकोप और फिर किसानों के आंदोलन से पंजाब में रेल परिचालन पिछले लंबे समय से बंद पड़ा है। रेलवे के अफसर नाम की तो ड्यूटी करते हैं, लेकिन वह इन दिनों आराम फरमा रहे हैं। मौसम ठंडा हुआ तो धूप भी अच्छी लगने लगी। इसी में मस्त अधिकारियों को यह पता नहीं चल रहा कि उनके आसपास क्या हो रहा है। कुछ दिन पहले आई आंधी व बारिश में रेलवे स्टेशन पर लगा सौ फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो गया।
तिरंगा फटा देखकर अधिकारियों ने मुलाजिमों को लगाकर उसे उतार तो दिया, लेकिन उस जगह रिजर्व झंडा फहराना भूल गए। अब वहां सिर्फ सौ फुट का पोल ही रह गया है। ट्रेनें चल नहीं रही और राजधानी से तिरंगा आ नहीं रहा। रेलवे स्टेशन के आसपास से गुजरते लोग अब इस पोल को देखकर रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। इससे अफसर बेखबर हैं।