लोगों में कड़वाहट कम करती हैं लोक अदालतें : सीजेएम

लोक अदालतें केस लड़ रही पार्टियों में कटुता कम करती है व समाज में वैमनस्य बढ़ाती है । दोनो पार्टियाँ अपने आपको जीता हुआ पाती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 03:12 AM (IST) Updated:Thu, 09 May 2019 06:23 AM (IST)
लोगों में कड़वाहट कम करती हैं लोक अदालतें : सीजेएम
लोगों में कड़वाहट कम करती हैं लोक अदालतें : सीजेएम

जासं, लुधियाना : लोक अदालतें केस लड़ रही पार्टियों में कटुता कम करती हैं व समाज में वैमनस्य बढ़ाती हैं। दोनो पार्टियां अपने आपको जीता हुआ पाती हैं। इसलिए लोगों में लोक अदालतों के संबंध में और जागरूकता लाना जरूरी है ।

यह कहना है चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-कम-सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी आशीष अबरोल का। पद संभालने के बाद वह पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए।

उन्होंने बताया कि जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी के चेयरमैन-व-सेशन जज गुरबीर सिंह की अध्यक्षता में 13 जुलाई को लुधियाना में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह अदालतें जिला कचहरी लुधियाना, खन्ना, जगरांव, समराला और पायल में लगाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा की इन लोक अदालतों के आयोजन से जहां लोगों के मामलों का निपटारा आम सहमति और थोड़े समय में हो जाएगा। वहीं, इससे समय और पैसा भी बचेगा। यह लोक अदालतें राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक अदालत में एक ही दिन लगाई जा रही हैं।

चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-कम-सचिव जिला कानूनी सेवाएं अथारिटी ने बताया कि लंबे समय से अदालती चक्करों में पड़े लोग अब बड़े नुकसान से बचने के लिए आम सहमति से मामले निपटाने को प्राथमिकता देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिला और सेशन जज और अतिरिक्त जिला और सेशन जज की अदालतों में हर किस्म के दीवानी, मेट्रिमोनियल, किराया अपील, मोटर एक्सीडेंट दावा, जमीन कब्जे, आपराधिक अपीलें ( सिर्फ कंपाउंडेबल केस) और समझौता योग्य केस आदि के निपटारे आम सहमति के साथ करवाए जाएंगे।

सिविल मामलों में जैसे किराए से संबंधित मामले, बैंक रिकवरी, माल विभाग के साथ संबंधित मामले, मनरेगा मामले, बिजली और पानी बिल के मामले (चोरी के अतिरिक्त), नौकरी पेशे मामलो में तनख़्वाह और बकाया भत्तों के मामले, पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ मामले, जंगलात एक्ट के साथ संबंधित मामले, कुदरती आपदा के साथ संबंधित मुआवजा मामले, नेगोशीएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत शिकायतों के मामले सिविल जज/ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेटों की अदालतों में विचार किए जाएंगे।

लोक अदालत में केस की सुनवाई के लिए कोई कोर्ट फीस नहीं लगती और यदि लोक अदालत के द्वारा मामले का निपटारा होता है तो अदा की गई कोर्ट फीस की वापसी को भी यकीनी बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि जिन मामलों का निपटारा लोक अदालतों में हो जाता है उनके खिलाफ आगे अपील नहीं डाली जा सकती।

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