101 वर्षीय बुजुर्ग की खुद्दारी, कहा- नहीं चाहिए मदद, कमाकर खा लूंगा; पंजाब के CM ने की तारीफ- 5 लाख का चेक भेजा

उम्र 101 हो चुकी है लेकिन खुद्दार हरबंंस सिंह मदद नहीं चाहते। सीएम ने अफसरों के माध्यम से सहायता का आफर दिया तो उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह मेहनत करके खुश हैं। हालांकि सीएम ने पांच लाख की राशि मंजूर कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 01:28 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 10:24 AM (IST)
101 वर्षीय बुजुर्ग की खुद्दारी, कहा- नहीं चाहिए मदद, कमाकर खा लूंगा; पंजाब के CM ने की तारीफ- 5 लाख का चेक भेजा
रेहड़ी पर आलू-प्याज बेचते बुजुर्ग हरबंस सिंह। फोटो सीएम के ट्विटर अकाउंट से

सत्येन ओझा, मोगा। स्वभाव में खुद्दारी और खुद पर भरोसा हो तो जीवन में किसी की मदद की जरूरत नहीं होती। ऐसी ही मिसाल मोगा के 101 साल के बुजुर्ग हरबंस सिंह ने कायम की है। वे अब भी रोजाना धूप हो या फिर बारिश मोगा के अमृतसर रोड पर आलू-प्याज की रेहड़ी लगाकर जीवन यापन कर रहे हैैं। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो उन्होंने डीसी संदीप हंस के माध्यम से बुजुर्ग को बुलाकर पूछा कि उन्हें किसी मदद की जरूरत है तो बताएं। ये उम्र आराम की है। सरकार आपकी सहायता करेगी। इस सवाल पर बुजुर्ग हरबंस सिंह ने कहा कि ईश्वर का दिया सब कुछ है। मुझे कुछ नहीं चाहिए।

बुजुर्ग हरबंस सिंह से पहले डीसी, फिर तहसीलदार करुन थपरियान और बाद में एसडीएम सतवंत सिंह ने भी पूछा कि क्या उन्हें किसी सहायता की जरूरत है। हरबंस ने विनम्रता से एक ही जवाब दिया कि ईश्वर का दिया सब कुछ है। बाद में डीसी संदीप हंस ने काफी आत्मीयता से परिवार के हालात पूछे और बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते हैं कि अगर उन्हें किसी मदद की जरूरत है तो सरकार देगी। बच्चे की पढ़ाई या फिर कुछ और। लेकिन बुजुर्ग की रग-रग में खुद्दारी थी। हर बार हाथ जोड़कर मदद ठुकरा दी।

करीब एक घंटे बाद जाते-जाते बुजुर्ग ने सिर्फ इतना आग्रह किया कि उन्होंने एक जमीन ली थी, रजिस्ट्री करवा ली है। इंतकाल नहीं कराया है, वे इंतकाल करा दें। बुजुर्ग की इस मासूमियत पर डीसी भी हंस पड़े। बोले-पूरे जीवन में ऐसा खुद्दार नहीं देखा। पहला बुजुर्ग देखा है जिसने सीएम की मदद का आफर भी ठुकरा दिया।

आजादी के समय 26 साल के थे, आधार कार्ड भी खो गया

अमृतसर रोड पर स्थित दशमेश नगर की गली नंबर छह निवासी हरबंस सिंह बताते हैं कि उन्हें बस इतना याद है कि जब भारत को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी, तब वे 26 साल के थे। उनका आधार कार्ड बना था, लेकिन कुछ महीने पहले खो गया है। उनका बड़ा बेटा मंगत सिंह ई-रिक्शा चलाता है। उसके दो बच्चे बेटी निशा व बेटा सहज पढ़ रहे हैं। एक फल विक्रेता बेटे की कुछ साल पहले हादसे में मौत हो गई थी। उसके भी दो बच्चे पढ़ रहे हैं। पूरा परिवार साथ रहता है। बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैैं।

स्वस्थ रहने के लिए ही लगाते हैैं रेहड़ी

हरबंस सिंह ने बताया कि हर सुबह चार बजे उठकर नित नेम के बाद मंडी जाकर प्याज व आलू खरीदते हैैं। सुबह-शाम रेहड़ी लगाकर बेचते हैं। वे आज भी लगातार काम कर रहे हैैं, इसलिए स्वस्थ हैं। जिंदा भी हैं। जिस दिन काम करना छोड़ देंगे, जिंदा नहीं रह पाएंगे। सेहत ठीक नहीं रहेगी। परिवार में कोई आर्थिक तंगी नहीं है। सिर्फ खुद को स्वस्थ रखने के लिए ही वे हर दिन रेहड़ी लगाते हैैं।

सेहतमंद जीवन का राज

जीवन का शतक लगा चुके हरबंस सिंह ने बताया कि कोरोना की दोनों लहर में उन्हें खांसी या जुकाम छू नहीं सका। वे मोबाइल नहीं रखते हैं। बाहर का खाना भी नहीं खाते हैं। घर में बना सादा भोजन ही करते हैं और नित नेम करते हैं। सरसों के तेल की मालिश करते हैं। यही उनके स्वस्थ रहने की वजह है।

Hats off to the grit of centenarian Harbans Singh of Moga, who has been earning a livelihood for himself and his orphaned grandchildren by selling vegetables. Have sanctioned Rs. 5 lakh as immediate financial assistance for him and for the education of his grandchildren. pic.twitter.com/fOcCTMoqjD

— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) July 17, 2021

सीएम देंगे पांच लाख का चेक

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरबंस सिंह की खुद्दारी से गद्गद् होकर पांच लाख रुपये का चेक देने की घोषणा की है। उन्होंने यह जानकारी ट्वीट कर दी। हरबंस सिंह का परिवार पाकिस्तान के लाहौर जिले के सराय थानेवाला गांव से ताल्लुक रखता था। वे बंटवारे के बाद भारत आ गए थे।

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