हर साल पांच लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का करते हैं इंतजार, अंगदान के लिए संकल्प अभियान की जरूरत

अगर देश के एक फीसद लोग भी मृत्यु के बाद अंगदान करें तो अंग न मिलने की वजह से जिंदगी से हाथ धोने वालों को बचाया जा सकता है।

By Sat PaulEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 04:49 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 04:49 PM (IST)
हर साल पांच लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का करते हैं इंतजार, अंगदान के लिए संकल्प अभियान की जरूरत
हर साल पांच लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का करते हैं इंतजार, अंगदान के लिए संकल्प अभियान की जरूरत

जेएनएन, लुधियाना। डीएमसी अस्पताल की ओर से पीजीआइएमईआर चंडीगढ़ के रिजनल आॅर्गन व टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के सहयोग से सीएमई करवाई गई। सीएमई डुमरा आॅडिटोरियम में हुई। इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर पीजीआइ चंडीगढ़ के रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के पूर्व हेड प्रो. मुकुट मिनज, पीजीआइ चंडीगढ़ के रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के हेड व प्रोफेसर डॉ. आशीष शर्मा, पीजीआइ चंडीगढ़ के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एके गुप्ता, पीजीआइ चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोसर्जरी के प्रो. राजेश छाबड़ा शामिल हुए। डॉ. मुकुट ने कहा कि देश में हर साल 5 लाख लोग आर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हैं। लेकिन अंग न मिलने की वजह से बेवक्त दम तोड़ रहे हैं। मृत्यु के बाद अंगदान करने के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा पंजाब काफी पिछड़ा हुआ है। अगर देश के एक फीसद लोग भी मृत्यु के बाद अंगदान करें तो अंग न मिलने की वजह से जिंदगी से हाथ धोने वालों को बचाया जा सकता है। समाज में मरणोपरांत अंगदान और देहदान के लिए संकल्प अभियान चलाने की आवश्यकता है।

हर तीन मिनट बाद होती है दुर्घटना 

प्रो. आशीष शर्मा ने कहा कि देश में रोजाना चार मौतें होती है और सड़कों पर हर तीन मिनट बाद एक दुर्घटना होती है। ऐसे में मरणोपरांत अंगदान से कई लोगों को दूसरा जीवन मिल सकता है। प्रो. राजेश छाबड़ा ने कहाकि भारतीय समाज में देहदान और अंग-दान के प्रति जागरूकता का अभाव भी है। यदि मरणोपरांत अंगदान की परंपरा विकसित हो जाए तो ज़रूरतमंदों को अंग सहज सुलभ हो सकते हैं।

अंगदान की कानून प्रक्रिया बनाई जाए सरल

सीएमई में विशेषज्ञों ने कई विशेषज्ञों ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण की कागजी कार्रवाईयों की जटिलता के कारण भी मरीज के रिश्तेदार अंगदान नहीं कर पाते हैं। औपचारिकताएं इतनी जटिल हैं कि मरीज को लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। अंग प्रत्यारोपण की कानूनी प्रक्रिया हो सरल बनाया जाना चाहिए।

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