पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर नागरिक करे पहल, घर-घर मे तैयार हों इकोब्रिक्स : रामगोपाल

प्लास्टिक के धरती पर बिछ रहे जाल से धरती भविष्य में पूर्ण अस्वस्थ हो सकती है। देशभर में चल रही पर्यावरण गतिविधियों द्वारा इसके निवारण हेतु इकोब्रिक्स के विकल्प को चुना है। जिसे घर-घर मे तैयार करवाने हेतु संस्था द्वारा इकोब्रिक्स मुहिम शुरू की गई है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 01:27 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 01:27 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को लेकर हर नागरिक करे पहल, घर-घर मे तैयार हों इकोब्रिक्स : रामगोपाल
राम गोपाल, हरियावल पंजाब पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत प्रमुख।

लुधियाना, जेएनएन। हरियावल पंजाब पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत प्रमुख राम गोपाल ने देशभर की संगत को श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाशपर्व पर बधाई दी व उनके बताए मार्ग पर चलने को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि आज गुरु नानकदेव जी के सिद्धांतों पर विश्वभर में लोग अनुसरण कर रहे है। कीर्त करो, वंड छको, सिमरन करो इन तीनो मार्गों को जीवन मे उतारकर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

उन्होंने आज प्रदेशभर में संस्था द्वारा चल रहे पौधरोपण, जल संरक्षण व कचरे की रोकथाम पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया इन तीनो बिंदुओं को भी जीवन मे उतारे बिना मानव जीवन संभव नहीं, अगर पेड़ पौधे नहीं होंगे वर्षा नहीं होगी। वर्षा नहीं होगी जल संरक्षण नहीं होगा और धरती अस्वस्थ होती जाएगी। कचरा प्रभंधन न होगा तो धरती पर रिसाइकिल न होने वाले कचरे के ढेर लगा जाएंगे, जो धरती को अस्वस्थ करने के साथ पशु, गोवंश व जल में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। उन्होंने बताया कि अगर महानगर में पांच लाख परिवार रहते हैं तो एक घर से मात्र पांच रिसाईकिल होने वाली पन्नी भी रोजाना निकले, तो 25 लाख पालीथिन लुधियाना की सड़कों पर आ जाती है।

प्लास्टिक के धरती पर बिछ रहे जाल से धरती भविष्य में पूर्ण अस्वस्थ हो सकती है। विचार करें कि इसका मानव पर क्या प्रभाव होगा। अगर देशभर का हिसाब जोड़ें तो आने वाली पीढ़ी को हम विरासत में क्या सौंपने जा रहे हैं। नदी-नालों के माध्यम से लाखों टन पालीथिन जमा हो चुकी है। आज देशभर में चल रही पर्यावरण गतिविधियों द्वारा इसके निवारण हेतु इकोब्रिक्स के विकल्प को चुना है। जिसे घर-घर मे तैयार करवाने हेतु संस्था द्वारा इकोब्रिक्स मुहिम शुरू की गई है। जिसको घर-घर तक पहुंचाने हेतु संस्था को सहयोग चाहिए। विशेषकर मातृशक्ति व युवा वर्ग के सहयोग के बिना इस कार्य को करना असंभव है।

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