न्याय को तरसीं आंखें, गर्भ में धड़कनें बंद

गरीबी इलाज नाइंसाफ और मासूम की मौत..यह मंजर किसी की जिंदगी में हो तो सोचना मुश्किल नहीं होगा कि इंसाफ किस कदर तक संघर्ष से लड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 01:49 AM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 01:49 AM (IST)
न्याय को तरसीं आंखें, गर्भ में धड़कनें बंद
न्याय को तरसीं आंखें, गर्भ में धड़कनें बंद

जागरण संवाददाता, लुधियाना : गरीबी, इलाज, नाइंसाफ और मासूम की मौत..यह मंजर किसी की जिंदगी में हो तो सोचना मुश्किल नहीं होगा कि इंसाफ किस कदर तक संघर्ष से लड़ रहा है। ऐसा ही कुछ गर्भवती के साथ हुआ। गरीबी की सताई व सामान बेचकर इलाज के लिए आई महिला को क्या पता था कि जिस इंसान पर वह भरोसा कर बैठी वो ही उसकी लाइफ में काल का साया बनकर आया है। गैस सिलेंडर बेच सिविल अस्पताल में आई गर्भवती को ना तो इंसाफ मिला, ना ही बच्चा। दो दिन से छीना मोबाइल पाने के लिए चौकी के बाहर बैठी थी। अब उसे फिर मेडिकल कॉलेज पटियाला रेफर किया जा रहा है। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद समाजसेवी उसकी सहायता के लिए आगे आए हैं। उसकी इस हालत का जिम्मेदार पुलिस प्रशासन और सेहत विभाग हैं क्योंकि सेहत विभाग ने उसका सही से इलाज नहीं किया है और पुलिस प्रशासन ने दो दिन तक धूप में चौकी के बाहर बिठाए रखा।

दरअसल, गोरखपुर की मूल रूप से वासी प्रीति आठ माह की गर्भवती है। 28 जून को जब उसे मदर चाइल्ड अस्पताल में दाखिल करवाया, तो सफाई सेवक बोला कि तेरे पति ने मोबाइल मंगवाया है और उसका मोबाइल लेकर फरार हो गया। पति जब उसके पास आया तो पता चला कि मोबाइल चोरी हो चुका है। इसी दौरान अस्पताल प्रबंधन ने उसे पटियाला रेफर कर दिया और वहां से पीजीआइ भेज दिया। वहां भी इलाज नहीं करवा पाई तो पंजेब बेचकर लुधियाना आई और इसकी शिकायत पुलिस चौकी सिविल अस्पताल में दी मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर खबर चलते ही देर रात चौकी इंचार्ज ने मोबाइल तो दिलवा दिया मगर मामला दर्ज नहीं किया। प्रीति के पति अर्जू का कहना है कि अब डॉक्टरों ने बताया, बच्चे की धड़कन बंद हो गई है और जल्द पत्नी के लिए रक्त का इंतजाम कर पटियाला ले जाएं।

पति बोला, भगवान इन्हें माफ नहीं करेगा

गोरखपुर से 1200 किलोमीटर महानगर में हसीन सपने संजोकर आए प्रीति के पति आर्जू ने कहा, यह उनका पहला बच्चा था। एक साल पहले जब उत्तर प्रदेश से आए, तो सोचा था कि यह शहर बहुत कुछ देगा। यहां पर बच्चे की परवरिश बढि़या ढंग से हो जाएगी मगर यहां पर उसका सबकुछ बर्बाद हो गया। पहले लॉकडाउन ने काम छीन लिया और अब पुलिस और सेहत विभाग की लापरवाही बच्चा निगल गई। भगवान इन लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे। पत्नी ठीक होती है तो वह किसी तरह घर चले जाएंगे और कभी यहां नहीं आएंगे।

मदद के लिए फरिश्ता बनकर आया व्यवसायी

किग एक्सपोर्ट के मालिक मदन लाल गोयल ने दैनिक जागरण में खबर आने के बाद महिला का सहयोग करने के लिए प्रतिनिधि भेजा। उनकी ओर से महिला को मोबाइल भी दिलाया है और उन्हें इलाज के लिए आर्थिक मदद करने का आश्वासन भी। इसके साथ ही ब्लड का भी बंदोबस्त करवाया है। महिला को हैं मल्टीपल डिजीज इसलिए रेफर किया

महिला 28 जून को आई थी, उसे किडनी में समस्या थी और रक्त की भी कमी थी। इसके अलावा टाइफाइड और अन्य बीमारियां थी। इस कारण उसे पटियाला में रेफर किया मगर वहां से भी उसे चंडीगढ़ रेफर कर दिया। उसे वहां इलाज करवाना चाहिए था, लेकिन वह घर लौट आई। उसे कल फिर से अस्पताल में दाखिल किया था। रक्त चढ़ाया जा रहा है। बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी है।

डॉ. रुपिदर कौर, एसएमओ सिविल अस्पताल।

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