कड़ाके की ठंड ने गर्म कपड़ों के कारोबार में भर दी जान, दिसंबर में ही खत्म हो गया स्टाॅक

अधिकतर कंपनियों का लगभग 80 फीसद स्टाक क्लीयर हो चुका है। यह सीजन पिछले पांच वर्षो की तुलना में सबसे बेहतर रहा है।

By Sat PaulEdited By: Publish:Thu, 09 Jan 2020 11:16 AM (IST) Updated:Thu, 09 Jan 2020 07:21 PM (IST)
कड़ाके की ठंड ने गर्म कपड़ों के कारोबार में भर दी जान, दिसंबर में ही खत्म हो गया स्टाॅक
कड़ाके की ठंड ने गर्म कपड़ों के कारोबार में भर दी जान, दिसंबर में ही खत्म हो गया स्टाॅक

लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। पंजाब सहित पड़ोसी राज्यों हिमाचल, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में ठंड के टूटे रिकॉर्ड ने गर्म कपड़ों के कारोबार में जान भर दी है। अधिक डिमांड की वजह से फरवरी तक चलने वाला गर्म कपड़ों का स्टॉक दिसंबर में ही खत्म हो गया है। अब होजरी उद्यमी विगत वर्षो का बचा पुराना माल भी खपाने की कवायद में जुट गए हें। लुधियाना की होजरी इंडस्ट्री हर साल सर्दी के सीजन में करीब 14 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करती है। यह कारोबार अक्टूबर से फरवरी तक में होता है। इस बार कड़ाके की ठंड की वजह से दिसंबर तक ही इतना कारोबार हो गया है।

अच्छे कारोबार से उद्यमियों के चेहरे खिले

ड्यूक फैशन इंडिया के सीएमडी कोमल कुमार जैन के मुताबिक इस बार सर्दी का सीजन लंबे समय के बाद सकारात्मक संकेत लेकर आया है। इस बार बाजार में गर्म कपड़ों की कमी देखने को मिली है। अधिकतर कंपनियों का लगभग 80 फीसद स्टाक क्लीयर हो चुका है। यह सीजन पिछले पांच वर्षो की तुलना में सबसे बेहतर रहा है।

दूसरे राज्यों से मिल रहे अच्छे ऑर्डर

कुद्दू निट एंव प्रोसेस के सीएमडी विपिन मित्तल के मुताबिक पंजाब सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड और खासकर जम्मू-कश्मीर से अच्छे आर्डर मिल रहे हैं। लुधियाना का होजरी उद्योग गुलजार है। अब गर्म कपड़ों का उत्पादन बंद किया जा चुका है। इसके बावजूद बाजार से आर्डर मिल रहे हैं। निटवियर क्लब के चेयरमैन विनोद थापर कहते हैं कि इस बार कंपनियों को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। स्टॉक क्लीयर हो चुका है। इससे आने वाले साल में होजरी उद्योग को अधिक उत्पादन करना पड़ेगा।

दस फीसद तक बढ़े दाम

इस बार गर्म कपड़ों की कीमतों में किसी तरह का इजाफा नहीं हुआ है। इसकी मुख्य वजह इस बार धागे के दाम कम होना है। हालांकि, खुदरा बाजार में गर्म कपड़ों के दाम जरूर पांच से 10 फीसद तक बढ़े हैं।

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