Sampling Report में खुलासा, मानकों के हिसाब से काम नहीं कर रहे निगम के तीन एसटीपी
ज्वाइंट सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद सामने आया है कि पांच में से तीन एसटीपी मानकों के हिसाब से काम नहीं कर रहे हैं और सही तरीके से ट्रीट किए बिना दरिया में गिराया जा रहा है।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। एनजीटी टीम व पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) हर बार नगर निगम के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) की कारगुजारी पर सवाल खड़े करते रहे हैं। एक मई को एनजीटी की मॉनिटरिंग कमेटी ने जब सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों का दौरा किया तो उस दिन भी प्लांट सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे। कमेटी ने निगम व पीपीसीबी के अफसरों की संयुक्त टीम से पांचों ट्रीटमेंट प्लांटों की सैंपलिंग करवाई। अब ज्वाइंट सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद सामने आया है कि पांच में से तीन एसटीपी मानकों के हिसाब से काम नहीं कर रहे हैं और सीवरेज के पानी को सही तरीके से ट्रीट किए बिना दरिया में गिराया जा रहा है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से गुजरने के बाद सीवरेज के पानी में बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) लेवल 30 मिलीग्राम प्रतिलीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जबकि निगम के तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों से बीओडी लेवल 30 से ज्यादा आया है। इससे साफ है कि सीटीपी मानकों के हिसाब से काम नहीं कर रहे हैं। नगर निगम की तरफ से बल्लोके में दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, जिसमें से 105 एमएलडी वाले एसटीपी से निकलने वाले पानी में बीओडी लेवल 15 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला जो संतोषजनक है।
वहीं 152 एमएलडी वाले एसटीपी से निकलने वाले पानी में बीओडी लेवल 55 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जो मानकों से कई ज्यादा था। इसी तरह भट्टियां में भी दो एसटीपी लगाए गए हैं। इसमें से 111 एमएलडी वाले एसटीपी में से निकलने वाले पानी में बीओडी लेवल 85 व 50 एमएलडी वाले एसटीपी से निकलने वाले पानी में बीओडी 11 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। जमालुपर के एसटीपी से निकलने वाले पानी में बीओडी 205 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। इस तरह सिर्फ दो ही एसटीपी ठीक से काम कर रहे हैं।
सवाल : फैक्ट्रियां बंद फिर भी सीओडी हुआ सैंपल में डिटेक्ट
बुड्ढा दरिया में प्रदूषण फैलाने को लेकर निगम और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर हर बार आमने-सामने हो जाते हैं। पर सैंपलों की रिपोर्ट से साफ है कि दरिया में सीओडी लेवल के लिए सिर्फ इंडस्ट्री ही जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि एक मई को जब एसटीपी से पानी के सैंपल लिए थे, उस दिन सभी डाइंग इकाइयां बंद थी। अब सवाल यही उठता है कि जब एक मई को डाइंग इकाइयां बंद थी तो पानी में सीओडी की मात्रा कहां से आ गई?
आगे की कार्रवाई के लिए पीपीसीबी ने एनजीटी को भेजी रिपोर्ट
पीपीसीबी ने पांचों एसटीपी की रिपोर्ट एनजीटी को भेज दी है। एनजीटी रिपोर्ट के हिसाब से आगे की कार्रवाई करेगा। एनजीटी ने उसी दिन निगम व पीपीसीबी अफसरों को हिदायतें जारी कर दी थी कि दरिया को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए अगर एसटीपी नए लगाने हैं तो लगाएं, अगर तकनीक को अपग्रेड करना है तो उसे अपग्रेड किया जाए।
लिक्विड के साथ सॉलिड वेस्ट भी गिरा रहा निगम
नगर निगम बुड्ढा दरिया में बिना ट्रीट किया हुआ सीवरेज का पानी गिराने के साथ-साथ सॉलिड वेस्ट भी गिरा रहा है। बुड्ढा दरिया में जगह-जगह पर कूड़े के अंबार लगे हैं। निगम न तो लोगों को कूड़ा फेंकने से रोक पा रहा है और न ही दरिया में जमा हुए सॉलिड वेस्ट को बाहर निकाल पा रहा है।
निगम के स्तर पर भी खामियां
ज्वाइंट सैंपल रिपोर्ट से साफ हो गया कि दरिया में सीओडी लेवल के लिए सिर्फ इंडस्ट्री ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि निगम के स्तर पर भी कुछ खामियां हैं। एक मई को इंडस्ट्री बंद थी, उसके बावजूद सीओडी लेवल डिटेक्ट हुआ है।
-संदीप बहल, एसई, पीपीसीबी लुधियाना।
रिपोर्ट देखने के बाद की कुछ कह सकेंगे
हमारे पास अभी सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आई है। जब तक रिपोर्ट नहीं देख लेते इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता है। वैसे भी सीओडी लेवल के कई कारण होते हैं।
-रजिंदर सिंह, एसई नगर निगम लुधियाना ।
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