दोस्त से ठगी के लिए बन गया फर्जी डीएसपी, काबू

जागरण संवाददाता, लुधियाना डीएसपी की गाड़ी चलाने व 42 हजार की तनख्वाह देने का लालच देकर एक आरोपी

By Edited By: Publish:Mon, 26 Sep 2016 01:00 AM (IST) Updated:Mon, 26 Sep 2016 01:00 AM (IST)
दोस्त से ठगी के लिए बन गया फर्जी डीएसपी, काबू

जागरण संवाददाता, लुधियाना

डीएसपी की गाड़ी चलाने व 42 हजार की तनख्वाह देने का लालच देकर एक आरोपी ने फर्जी डीएसपी बन अपने ही दोस्त से ठगी कर डाली। पीड़ित को शक हुआ तो उसने एसीपी से शिकायत की। इसके बाद एसीपी सेंट्रल ने ट्रैप लगा आरोपी मंजूर खान को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पीड़ित व¨रदर कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज किया है।

व¨रदर कुमार ने बताया कि वह टैक्सी ड्राइवर है। पिछले काफी समय से काम नहीं था। इसके चलते उसने अपने सबसे खास दोस्त मंजूर खान को फोन किया। वह भी टैक्सी चलाता है। उसने उससे कहा कि उसे काम पर लगवा दे। दोस्त ने कहा कि एक डीएसपी को टैक्सी की जरुरत है। उसके ड्राइवर को 42 हजार तनख्वाह और 60 लीटर तेल मिलेगा। यह सुनते ही व¨रदर के मन में आस जगी कि काम मिल जाएगा और उसके घर का खर्च सही से चलेगा। आरोपी मंजूर ने उसे कहा कि एक नंबर नोट कर। उक्त नंबर डीएसपी का है, काम के बारे में वह उसे समझा देंगे। इसलिए तुम खुद ही उसे फोन कर लो। व¨रदर ने बताया कि उसने तुंरत उक्त नंबर पर फोन किया। जो सामने से बोला, वह बोलने से किसी अधिकारी से कम नहीं लग रहा था। उक्त शख्स ने उसे कहा कि काम तो उसे मिल जाएगा, लेकिन पहले तुम्हे फाइल और सरकारी फीस के तीन हजार रुपये जमा करवाने होंगे। उक्त पैसे मंजूर को साथ लेकर वह जगराओं पुल के पास आ जाए। व¨रदर ने बताया कि उसके जैसे-तैसे पैसों का जुगाड़ किया और दोस्त को साथ लेकर जगराओं पुल के नीचे आ गया। यहां पहुंचकर आरोपी ने कहा कि वह यही रुके और वह पैसे व उसके दस्तावेजों की फाइल देकर आता है।

कुछ देर बाद मंजूर वापस आया और उसके हाथ में फाइल थी। उसने कहा कि साहब ने उसकी पेमेंट ऑनलाइन कर दी और उसके दस्तावेज चेक हो गए। अब उसे चंडीगढ़ से वेरीफिकेशन के लिए फोन आएगा। व¨रदर के मुताबिक अगले दिन उसे एक अन्य नंबर से फोन आया। जिसने खुद को चंडीगढ़ का बताया और वेरीफीकेशन की बात कही। उक्त शख्स ने कहा कि वेरीफीकेशन तो हो गई है, लेकिन आपके तीन दस्तावेज और बनाने हैं। इसके लिए तीन हजार और लगेंगे। यह पैसे वह मंजूर को दे दे।

अब व¨रदर को दाल में कुछ काला लगा। उसने अपने एक दोस्त को उक्त डीएसपी का नंबर दिया और पता करवाने के लिए कहा। उक्त दोस्त ने उस नंबर के बारे में पता करवाया तो पता चला कि उक्त नंबर किसी अधिकारी का नही है। इसके बाद व¨रदर ने एसीपी सेंट्रल अमनदीप बराड़ को इसके बारे में बताया। जब वह एसीपी के पास पहुंचा तो उक्त डीएसपी का फिर फोन आ गया। उसने एसीपी बराड़ के सामने फोन स्पीकर पर डालकर सारी बात सुनाई। आरोपी ने उससे तीन हजार रुपये फिरोजपुर रोड पर मंगवाए। व¨रदर ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं था तो एसीपी सेंट्रल बराड़ ने उसे पैसे दिए और आरोपी को देने की बात की। अगले दिन जब आरोपी मंजूर पैसे लेने के लिए आया तो वहीं पुलिस ने उसे दबोच लिया। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह डीएसपी वह खुद ही आवाज बदलकर बना था। ऐसे ही कई लोगों से धोखाधड़ी कर चुका है। थाना डिवीजन नंबर 2 की पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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