गुरु की शरण में सब कुछ मिलता है : साधी विरैशा

जासं, लुधियाना दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अटल नगर राहों रोड पर चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम

By Edited By: Publish:Tue, 01 Sep 2015 05:32 PM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2015 05:32 PM (IST)
गुरु की शरण में सब कुछ मिलता है : साधी विरैशा

जासं, लुधियाना

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अटल नगर राहों रोड पर चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन में गुरुदेव सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी विरैशा भारती जी ने कहा कि शरण में कोई राजा-महाराजा जो कोई गरीब ही क्यों न आया हो, उसे प्रभु की भक्ति के साथ ही जोड़ा। इतिहास में आता है कि एक बार राजा संघ जी ने गुरु रविदास जी से प्रश्न किया कि जीवन क्या है और भक्ति क्या है। तभी वह कहते हैं कि क्या तू सोइया जाग इयाता तै जीवन जग सोच कर जागा' अर्थात तुम कहा सोए हुए हो, अपनी जीवन की वास्तविकता को जानो अर्थात् जागो। तभी तुम्हे लक्ष्य की प्राप्ति होगी, जहा पर विचार कर सोना और जागना क्या है?

उन्होंने कहा कहा कि जो लोग माया के अधीन हो के जो जीवन को यूं ही गंवा रहे हैं, वह भी सोऐ हुए ही है। जब मानव के जीवन में ब्रह्मज्ञान का आगमन होता है, तब वास्तव में जागना होता है और हमारे धार्मिक ग्रंथ भी कहते है।

ब्रह्मज्ञान की ध्यान साधना द्वारा इंसान के बुरे कर्म व संस्कार जल जाते है और इंसान अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है। इसी ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति मीरा को गुरु रविदास के द्वारा, स्वामी विवेकानंद को स्वामी राम कृष्ण परमहस जी, नामदेव जी को विशेभा खेचर, धन्ना जाट को, गुरु रामानंद जी, शबरी को, मंतग मुनि आदि को समय के पूर्ण सतगुरु की शरण में जाकर ही प्राप्त हुई है। वर्तमान समय में आवश्यकता है उसी ब्रह्म ज्ञान के लिए पूर्ण गुरु की शरण में जाने की। अंत में साध्वी जी ने कहा कि महापुरुषों की शिक्षा केवल सुनने के लिए नहीं बल्कि जीवन में धारण करने के लिए है।

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