अस्पताल रजिस्टर्ड नहीं होने पर रिजेक्ट किया क्लेम, बीमा कंपनी पर जुर्माना

जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम नें स्थानीय मुहल्ला रायेका निवासी की शिकायत पर फैसला सुनाते हुए बजाज एलायंज जनरल इंश्योरैंस को शिकायतकर्ता के मैडिकल क्लेम का भुगतान करने का आदेश दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 02:39 AM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 06:07 AM (IST)
अस्पताल रजिस्टर्ड नहीं होने पर रिजेक्ट किया क्लेम, बीमा कंपनी पर जुर्माना
अस्पताल रजिस्टर्ड नहीं होने पर रिजेक्ट किया क्लेम, बीमा कंपनी पर जुर्माना

संजीव भल्ला, कपूरथला

जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम ने मोहल्ला रायेका निवासी राजन की शिकायत पर फैसला सुनाते हुए बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को शिकायतकर्ता के मेडिकल क्लेम का भुगतान करने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिए पंद्रह हजार का हर्जाना ठोका है। बीमा कंपनी इस बात पर क्लेम रिजेक्ट कर रही थी कि शिकायतकर्ता ने अपना इलाज नियमों के मुताबिक निर्धारित अस्पताल में नहीं करवाया।

मोहल्ला रायेका निवासी राजन पुत्र काकू ने फोरम में अपनी शिकायत में बताया कि उसने बजाज एलायंस से एक ग्लोबल पर्सनल बांड पालिसी एक साल के लिए ली और प्रीमीयम का भुगतान किया। 23 मई 2017 को उसका मोटरसाइकिल स्लिप होने से वह घायल हो गया तथा इलाज के लिए जालंधर स्थित दोआबा अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हुआ। उसके इलाज में 51901 रुपये का खर्च हुआ और इस दुर्घटना की उसने पुलिस शिकायत भी दर्ज करवाई। शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि जब उसने मेडिक्लेम का बिल बीमा कंपनी को भेजा तो कंपनी ने क्लेम यह कह कर क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि जिस अस्पताल से शिकायतकर्ता ने इलाज करवाया है वह अस्पताल निर्धारित मापदंड के मुताबिक सही अस्पताल नहीं है। न ही अस्पताल लोकल अथारिटी के पास बतौर अस्पताल रजिस्टर्ड है और न ही उसमें न ही नियमों के अनुसार दस बेड का प्रबंध है।

फोरम ने बीमा कंपनी के इस दावे को रिजेक्ट कर दिया और अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बीमा कंपनियों को ऐसी भ्रामक नियम व शर्ताें का सहारा नहीं लेना चाहिए। बीमा का मुख्य मकसद सुविधा और सुरक्षा देना है। दुर्घटना होने पर कोई भी पहले मिलने वाली मेडिकल सुविधा देखेगा न कि वह अस्पताल की जांच करेगा कि इस में दस बेड की सुविधा है कि नहीं और अस्पताल रजिस्टर्ड है कि नहीं।

फोरम के अध्यक्ष करनैल सिंह ने बीमा कंपनी को 51901 रुपये के मेडिकल बिल का भुगतान एक महीने के अंदर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ करने का आदेश दिया है। साथ ही शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के हर्जाने के तौर पर 15000 रुपये और मुकदमा खर्च के लिए 7000 रुपये देने के आदेश दिए हैं।

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