बीमारी का बहाना बना अस्पताल में आराम फरमा रहे कैदी

हरनेक ¨सह जैनपुरी/ नरेश कद, कपूरथला पेट दर्द, पीठ दर्द व छाती दर्द आदि का बहाना बना कर मॉडर्न जेल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jun 2018 08:05 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jun 2018 08:05 PM (IST)
बीमारी का बहाना बना अस्पताल में आराम फरमा रहे कैदी
बीमारी का बहाना बना अस्पताल में आराम फरमा रहे कैदी

हरनेक ¨सह जैनपुरी/ नरेश कद, कपूरथला

पेट दर्द, पीठ दर्द व छाती दर्द आदि का बहाना बना कर मॉडर्न जेल के 13 कैदी व हवालाती सिविल अस्पताल में कई दिनों से आराम फरमा रहे हैं। बीमारी का बहाना बना कर अस्पताल में कई दिनों से दाखिल चार कैदियों व दस हवालातियों में से वीरवार की सुबह 9 को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है जबकि चार शाम तक दाखिल थे। मॉडर्न जेल में बंद करीब 3000 कैदियों व हवालतियों के लिए तीन डाक्टर भी तैनात है लेकिन इसके बावजूद मामूली बीमारी का बहाना बना कर कई कैदी मिलीभगत से सिविल अस्पताल में पहुंच जाते हैं। हर कैदी के साथ दो-दो पुलिस मुलाजिम भी तैनात रहते हैं जिससे अस्पताल के आम मरीजों में दहशत वाला माहौल बना रहता है।

जानकारी के मुताबिक मार्डन जेल के कैदियों को मामूली बीमारी होने पर भी जेल के डाक्टरों की ओर से प्राथमिक उपचार कर सिविल अस्पताल कपूरथला में भेज दिया जाता है। बीमारी का बहाना बना कर कैदी सिविल अस्पताल में कई-कई दिनों तक आराम फरमाते हैं और अपने परिवार के साथ अस्पताल में मुलाकात करते हैं। दैनिक जागरण की टीम ने बुधवार देर रात सिविल अस्पताल का दौरा करने पर पाया कि सिविल अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में कैदियों के लिए बनाए रुम के अलावा साथ लगते रुम में भी चार कैदियों को दाखिल किया गया है। अस्पताल में दाखिल 13 कैदियों व हवालातियों के लिए 26 पुलिस कर्मचारी आन रिकार्ड ड्यूटी दे रहे थे जिससे अस्पताल कम और जेल ज्यादा बनी हुई नजर आ रही थी।

नशीले पाउडर के मामले में सजा काट रहे कैदी लखवीर ¨सह पुत्र परमजीत ¨सह को यूरीन की समस्या की वजह से अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। फगवाड़ा निवासी हरनेक ¨सह प्रापर्टी के मामले में जेल में बंद है और वह इस समय पथरी की बीमारी से पीड़ित होने के कारण सिविल अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा हैं। इसके अलावा लाडी पुत्र रुप लाल नशीले पाउडर के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। वह जेल में गिर जाने से चोटिल हो गया था। इस समय सिविल अस्पताल में इलाज करवा रहा है। जगजीत ¨सह पुत्र बलदेव ¨सह दहेज के मामले में जेल में सजा काटा रहा है। वह छाती में दर्द होने के कारण अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है। उक्त चारों मरीज पिछले सात दिनों से अस्पताल में है और बिना बिना रोक टोक के अपने पारिवारिक सदस्यों से मुलाकात कर रहे है। मुलाकात के दौरान पारिवारिक सदस्य उनके खाने-पीने के लिए भी सामान लेकर आ रहे हैं। पुलिस कर्मी बिना तलाशी व जांच किए अंदर जाने दे रहे हैं। इसी प्रकार परमजीत कौर, लवलीन, हरजीत मुल्तानी, र¨जदर कुमार, अमृत, दर्शन लाल, विजय कुमार, बल¨वदर ¨सह, जसपाल ¨सह, व सतनाम ¨सह पुत्र बल¨वदर ¨सह, यह सभी मामूली दर्द से पीड़ित हैं, जिनका इलाज मॉडर्न जेल में भी किया जा सकता था। लेकिन डाक्टरों की कथित मिलीभगत के कारण इन्हें सिविल अस्पताल भेज दिया गया, जहां वह आराम फरमाते रहे। इनमें से नौ कैदियों को वीरवार सुबह इलाज के बाद छुट्टी दे कर जेल भेज दिया गया, जबकि जसपाल जो कि शुगर की बीमारी से पीड़ित है, की हालत में सुधार न आने के कारण उसे डाक्टरों ने जालंधर के लिए रैफर कर दिया है। कैदियों का हर रोज अस्पताल में आना-जाना लगा रहता है। इसके चलते अस्पताल स्टाफ के साथ साथ अन्य दाखिल आम मरीजों को भी परेशानी होती है और उनमें डर का माहौल बना रहता है।

मॉडर्न जेल में 3000 कैदियों के लिए सिर्फ तीन डॉक्टर

मॉडर्न जेल में बंद 3000 कैदियों के पीछे 6 डाक्टरों की जरूरत है। लेकिन जेल अस्पताल में केवल मात्र 3 ही डाक्टर है। जेल में लैब तो बनाई गई है, लेकिन टेस्ट करने वाला स्पेशलिस्ट लेबोरेटरी अडेंडेट नहीं है और न ही एक्सरे मशीन है। इसके अलावा स्टाफ नर्स भी नहीं है। मॉडर्न जेल में बने अस्पताल में सेहत सुविधाओं की कमी है। गौर हो कि थेह कांजला में स्थित मार्डन जेल कपूरथला में तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल बनाया गया था, लेकिन कुछ वर्षो पहले जेल में कैदियों की जेल प्रशासन साथ हुई झड़प के बाद कैदियों ने जेल के अस्पताल को तहस-नहस करते हुए आग के हवाले कर दिया और उस वक्त से लेकर आज तक जेल में अस्पताल का दोबारा निर्माण नहीं हो पाया।

सुविधाओं के अभाव में कैदियों को किया जाता है रेफर : डॉ. अभिषेक

इस संबंध में जब मॉडर्न जेल के डॉ. अभिषेक गिल से बातचीत की गई तो तो उन्होंने कहा कि जेल के अस्पताल में सुविधाएं न होने के कारण उन्हें मजबूर होकर कैदियों व हवालातियों को अस्पताल के लिए रैफर करना पड़ता है। रही बात दाखिल करने की यह तो सिविल अस्पताल के डाक्टरों पर निर्भर करता है कि उन्हें उपचार के बाद दाखिल करना है या नहीं।

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