इंश्योरेंस कंपनी को एक महीने में मेडिकल बिल अदा करने के आदेश

जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम ने नेश्नल इंश्योरैंस कंपनी को मोहल्ला सराय दिवाना निवासी महिला के दस लाख के मेडिकल क्लेम की सैटलमैंट एक महीने के अंदर करने का आदेश दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Jul 2019 02:38 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jul 2019 02:38 AM (IST)
इंश्योरेंस कंपनी को एक महीने में मेडिकल बिल अदा करने के आदेश
इंश्योरेंस कंपनी को एक महीने में मेडिकल बिल अदा करने के आदेश

संवाद सहयोगी, कपूरथला : जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को स्थानीय मुहल्ला सराय दिवाना निवासी महिला के दस लाख के मेडिकल क्लेम की सेटलमेंट एक महीने के अन्दर करने का आदेश दिया और कहा कि ऐसा न करने पर कंपनी को एक लाख का अतिरिक्त मुआवजा भी देना पड़ेगा। फोरम ने इंश्योरेंस कम्पनी पर शिकायतकर्ता को हुई मानसिक प्राताड़ना के लिए 35 हजार का हर्जाना भी ठोका है।

फोरम में दर्ज अपनी शिकायत में रितु अरोड़ा पत्नी स्व. परमजीत लाल अरोड़ा निवासी मुहल्ला सराय दिवाना ने बताया कि उसने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी से पांच लाख तक की मेडिक्लेम पालिसी 39386 रुपये का भुगतान कर एक साल (29-03-2018 से 28-03-2019) के लिए रिन्यू करवाया। इस पालिसी को उसका परिवार 2004 से लगातार रिनियू करवा रहा था। शिकायतकर्ता के अनुसार पालिसी के चलते पिछले साल की अवधि (29-03-2017 से 28-03-2018) के दौरान उसके पति को कैंसर हो गया और उन्होने नई दिल्ली में स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीटयूट और अन्य अस्पतालों से इलाज करवाया। इलाज के लिए हुए खर्चे की भरपाई के लिए इंश्योरेंस कम्पनी को सारे बिल जमा करवाए पर कम्पनी ने किसी भी बिल की भरपाई नहीं की। सारे बिलों की कुल राशि 1028913 रुपये थी जिसके लिए कम्पनी बीमे की राशि पांच लाख रुपये अदा करने के लिए पाबंद है। इलाज के चलते शिकायतकर्ता ने अलग-अलग समय पर छह लाख रुपये का भुगतान किया और उसका भी पांच लाख रूपए अदा करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी पाबंद है।

कम्पनी ने अपना पक्ष रखते फोरम में बताया कि क्लेम का भुगतान कुछ दस्तावेजों की कमी के कारण नहीं किया जा सका। कम्पनी की ओर से दायर जवाब की पड़ताल के बाद फोरम ने पाया कि सारे दस्तावेज जो कम्पनी ने मांगे थे वह बड़ी ही रूटीन किस्म के थे और उनको हासिल करना कंपनी के सर्वेयर की जिम्मेवारी बनती है। फोरम के अध्यक्ष करनैल सिंह ने इसे सेवाओं में कमी माना और इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम की सेटलमेंट एक महीने के अन्दर करने के आदेश दिए। ऐसा न कर पाने की सूरत में कम्पनी को एक लाख रुपये का मुआवजा भी अदा करना पड़ेगा। फोरम ने कम्पनी को शिकायतकर्ता को हुई मानसिक प्राताड़ना के लिए 35 हजार के हर्जाने का भुगतान करने को भी आदेश दिया है।

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