महिला का वजन ज्यादा बता इंश्योरेंस कंपनी ने खारिज किया क्लेम, फोरम ने कहा- देने होंगे 1,41,279 रुपये

फतेहपुरा की शमा रानी को छाती में दर्द के बाद डीएमसी लुधियाना भर्ती करवाया गया था। बीमा कंपनी ने उन्हें अस्पातल में कैशलेस सुविधा नहीं दी। बाद में क्लेम भी खारिज कर दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 12 Feb 2020 03:51 PM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 03:51 PM (IST)
महिला का वजन ज्यादा बता इंश्योरेंस कंपनी ने खारिज किया क्लेम, फोरम ने कहा- देने होंगे 1,41,279 रुपये
महिला का वजन ज्यादा बता इंश्योरेंस कंपनी ने खारिज किया क्लेम, फोरम ने कहा- देने होंगे 1,41,279 रुपये

जालंधर, जेएनएन। यहां कंज्यूमर फोरम में एक अजब मामला सामने आया है। एक इंश्योरेंस कंपनी ने महिला का वजन ज्यादा होने का दावा कर उसका क्लेम खारिज कर दिया। महिला मामला लेकर जिला कंज्यूमर फोरम पहुंची तो कंपनी अपना दावा साबित नहीं कर पाई। सुनवाई के बाद फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम देने के आदेश जारी किए हैं।

फतेहपुरा निवासी राजकुमार ने फोरम को शिकायत दी कि उन्होंने स्टार हेल्थ एंड अलॉयड इंश्योरेंस कंपनी से परिवार के लिए बीमा पॉलिसी ली थी। यह पॉलिसी 31 जनवरी 2017 से 30 जनवरी 2018 तक की थी। नवंबर 2017 में शमा रानी की छाती में दर्द हुआ। उन्होंने मेडिकल टेस्ट कराया तो लैब ने कहा कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की संभावना है, तुरंत डीएमसी अस्पताल में इलाज कराएं। 28 नवंबर 2017 को उन्हें डीएमसी में भर्ती करा दिया गया। वहां से 6 दिसंबर 2017 को छुट्टी मिली। बीमा करवाते समय इंश्योरेंस कंपनी ने भरोसा दिया था कि डीएमसी अस्पताल में कैशलेस सुविधा उपलब्ध है। जबकि पत्नी के भर्ती होने से उन्हें यह सुविधा मुहैया नहीं कराई गई।  सारा पैसा उन्हें अपनी जेब से भरना पड़ा।

डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने क्लेम दाखिल किया तो कंपनी ने उसे खारिज कर दिया। कंपनी ने आठ जनवरी, 2018 को पत्र जारी कर कहा कि शमा रानी की पॉलिसी रद कर दी गई है। इस बारे में उनका कोई पक्ष नहीं सुना गया। इसके बाद उनके नाम पर अलग से नई पॉलिसी जारी कर दी गई। मामले की सुनवाई के दौरान फोरम ने नोटिस निकाला तो कंपनी ने कहा कि पॉलिसी के कागजों में शमा रानी का गलत वजन लिखा गया था। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण तथ्य नहीं बताए गए थे। हालांकि सुनवाई के दौरान कंपनी अपनी बात साबित नहीं कर सकी। इसके बाद फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को शिकायतकर्ता को एक लाख 41 हजार 279 रुपये का क्लेम देने का आदेश दिया। साथ ही, 30 हजार रुपये हर्जाना और सात हजार केस खर्च भी देने को कहा है।

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