शहरनामाः अश्विनी शर्मा की ताजपोशी को लेकर पहले बवाल और फिर मलाल

अश्विनी शर्मा की ताजपोशी के कुछ दिन बाद वामपंथी विचारधारा से जुड़े कुछ बुद्धिजीवियों ने कमेटी के फैसले का विरोध शुरू कर दिया। सांकेतिक प्रर्दशन भी हुए।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 06:01 PM (IST) Updated:Tue, 25 Feb 2020 09:29 AM (IST)
शहरनामाः अश्विनी शर्मा की ताजपोशी को लेकर पहले बवाल और फिर मलाल
शहरनामाः अश्विनी शर्मा की ताजपोशी को लेकर पहले बवाल और फिर मलाल

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। आजादी के आंदोलन में गदरी बाबाओं की भूमिका को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उस दौर में विभिन्न विचारधारा के संगठनों व लोगों ने अपने-अपने स्तर पर अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ आवाज बुलंद की थी और आंदोलन में भाग लिया था। उद्देश्य सभी का एक ही था देश की आजादी। कुछ दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान की ताजपोशी का समारोह देशभगत यादगार हॉल में किया गया। सभी को पता था कि भाजपा के नए प्रधान अश्विनी शर्मा की ताजपोशी इसी हॉल में होने जा रही है। पहले किसी ने प्रबंधक कमेटी को इस बारे में आगाह नहीं किया। ताजपोशी के कुछ दिन बाद वामपंथी विचारधारा से जुड़े कुछ बुद्धिजीवियों ने कमेटी के फैसले का विरोध शुरू कर दिया। सांकेतिक प्रर्दशन भी हुए। मामला बढ़ता देख कमेटी ने फैसले पर मलाल करके मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कवायद शुरू कर दी है। 

राजा का नहीं यूनियन का राज

मामला नगर निगम व शहर के महापौर जगदीश राज राजा से जुड़ा है। बीते दिनों राजा के कार्यकाल के दो साल पूरे हुए। दो सालों में खस्ताहाल सड़कें, कूड़े से भरे शहर और तमाम सुविधाओं को लेकर शहर का बुरा हाल रहा है। बतौर महापौर राजा भी खुद स्वीकार चुके हैं कि वह दो सालों में शहर को वह सब सुविधाएं नहीं दे  पाए जो उन्होंने सोची थी। लेकिन अगले तीन साल में शहर को खूबसूरत बनाने की दिशा में राजा प्रयासरत हैं। लोगों के निशाने पर चल रहे महापौर की कार्यप्रणाली को जानने के लिए लोगों ने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सर्वे कर डाला कि शहर में किसकी चलती है। नगर निगम, महापौर या किसी और की। इसके बाद क्या था शहरवासी सोशल मीडिया पर जमकर बोले महापौर व नगर निगम की दो सालों में कभी चलते हुए दिखी नहीं,  लेकिन यूनियन की तो निकल पड़ी है।

कमाई के लिए बने वसूली भाई

शहर के प्रतिष्ठित जिमखाना क्लब में चार हजार से ज्यादा सदस्य हैं। सैकड़ों की संख्या में कई ऐसे सदस्य भी हैं जिन्होंने कई साल से क्लब की फीस तक अदा नहीं की है। हर बार चुनाव से पहले यह बड़ा मुद्दा बनता है और वसूली के वायदे करके कुछ उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं तो कुछ वायदों पर खरा ना उतर पाने के चलते हारते भी हैं। इस बार क्लब प्रशासन ने नया प्रयोग किया है कि डिफॉल्टरों से वसूली के लिए उन्हें नोमिनेट करने वाले क्लब के पूर्व पदाधिकारियों से वसूली की जाए। इसके चलते क्लब के तीन पूर्व सचिवों सतीश ठाकुर गोरा, एडवोकेट दलजीत छाबड़ा और संदीप बहल कुक्की को भी प्रशासन की तरफ से वसूली का नोटिस जारी कर दिया। नोटिस जारी होते ही क्लब की सियासत गरमा गई है। मौजूदा प्रशासन की खिंचाई की तैयारी धुरंधरों ने शुरू कर दी है।

जीपीएस का कमजोर पड़ा कनेक्शन

जीपीएस का कनेक्शन कमजोर हो गया है। चौंकिए मत हम बात ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम की नहीं बल्कि पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर की कर रहे हैं। महकमे में कमिश्नर साहब जीपीएस के नाम से भी जाने जाते हैं। सूबे में सरकार चाहे जिस भी पार्टी की हो, लेकिन सभी की पसंद जीपीएस होते ही हैं। बेहतर काम व अच्छे कनेक्शन के मद्देनजर उन्हें बीते कई सालों से मलाईदार पद नजराने में मिले हैं। लेकिन यह पहला मौका है जब जीपीएस का कनेक्शन कुछ कमजोर दिखाई दे रहा है। हर सप्ताह उनके तबादले की अफवाह आग की तरह फैलती है। पहले दो-चार बार तो उन्होंने भी मामले को हल्के में लिया, लेकिन अब तबादलों की खबरों ने से परेशान हैं। उनके चाहने वालों की लिस्ट भी काफी लंबी है और तीन महीने से बेचारे अफवाह अफवाह फैलते ही सैकड़ों चाहने वालों को सफाई ही दे रहे हैं कि हकीकत क्या है।

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