पंजाब में जहरीली शराब पर पहले मचा बवाल, अब जांच के फैसले पर ही उठा बड़ा सवाल

पंजाब में जहरीली शराब मामले पर काफी हंगामा मचा और इस पर खूब राजनीति हुई। जहरीली शराब के कारण करीब 125 लोगों की मौत हाे गई थी। अब पूरे मामले की जांच के फैसले को लेकर ही बडा सवाल उठ गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 12:54 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 12:54 PM (IST)
पंजाब में जहरीली शराब पर पहले मचा बवाल, अब जांच के फैसले पर ही उठा बड़ा सवाल
पंजाब में जहरीली शराब मामले क जांच को लेकर ही बड़ा सवाल पैदा हो गया है।

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। क्राइम सीन पंजाब में। सबूत पंजाब में। आरोपित पंजाब में। जहरीली शराब पीकर मरे 125 लोगों के परिजन पंजाब में। जांच के लिए सबसे योग्य अधिकारी पंजाब में। इसके बाद भी इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने जहरीली व अवैश शराब के मामले की जांच दिल्ली से करवाने का फैसला करके खुद को सवालों के घेरे में खड़ा कर लिया है। पंजाब में जहरीली व अवैध शराब के कारण हुई 125 मौतों के बाद मचे सियासी बवाल के बाद इतिहास में पहली बार ईडी द्वारा शराब के मामले की जांच में कूदने और जांच शुरू होने से पहले ही उसे पंजाब से दिल्ली ट्रांसफर करके पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने की  कवायद शुरू हो गई है।

क्राइम सीन, सबूत, गवाह,आरोपी पंजाब में, जांच दिल्ली के हवाले क्यों

पंजाब में  मई से लेकर अभी तक अवैध व जहरीली शराब के मामले को लेकर सरकार भी कटघरे में है। जहरीली शराब पीने से 125 लोगों की मौतें और विभिन्न जिलों में 13 एफआइआर के बाद एक भी बड़े आरोपित की गिरफ्तारी न कर पाने को लेकर पुलिस भी सवालों के घेरे में है। विपक्षी दल भाजपा, अकाली व खुद कांग्रेसियों ने इस मामले में सरकार व पुलिस तथा एक्साइज विभाग के अधिकारियों के साथ शराब के कारोबियों के गठबंधन पर का पर्दाफाश करने की मांग कर चुका है।

125 मौतों के बाद भी जारी है राजनीति, सैकड़ों करोड़ की टैक्स चोरी में कई सफेदपोश शामिल

पुलिस के संरक्षण में हो रहे अवैध शराब के निर्माण व सप्लाई के जरिए  सैकड़ों करोड़ के टैक्स चोरी करने के मामले की जांच को लेकर ईडी ने अपने इतिहास में पहली बार शराब के मामले की जांच का खुद की केस दर्ज किया था। 28 अगस्त को ईडी द्वारा केस दर्ज करने के बाद से ही  सभी 13 एफआइआर की जानकारी नए सिरे से पुलिस से लेने की कवायद ईडी ने शुरू कर दी थी। खुद को फंसता देख पुलिस ने ईडी को अदालत से संबंधित दस्तावेज लेने को कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया था।

फिलहाल पंजाब की ईडी टीम निरंजन की अगुवाई में इस मामले की आधिकारिक जांच शुरू कर पाती कि उससे पहले ही बीती 18 सितंबर को पूरे गोरखधंधे में शामिल नेताओं, शराब माफियाओं व सरकारी तंत्र की मिलीभगत से  केस की जांच ही ईडी के दिल्ली दफ्तर को ट्रांसफर कर दी गई है। इसीलिए जांच ट्रांसफर करने को लेकर ईडी भी उंगलियां उठ रही हैं।

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पुलिस ने नहीं किया सहयोग, करती रही टालमटोल

मई में पटियाला के  शंभू में  शराब की अवैध की फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद जब पंजाब में कई और जिलों में अवैध शराब के निर्माण व सप्लाई के मामले सामने आए तो ईडी के  डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह 16 जून को पटियाला के तत्कालीन एसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू से मुलाकात कर एफआईआर की कापी व उस समय तक की गई जांच की जानकारी मांगी थी। दो दिन में एफआइआर की कापी उपलब्ध करवाने का भरोसा देकर मंदीप सिद्धू ने निरंजन को वापस भेज दिया था।

दो दिन बाद जब एफआइआर की कापी नहीं उपलब्ध करवाई गई तो निरंजन ने ईडी दफ्तर से एक अधिकारी को पटियाला भेजा एफआईआर की कापी लेने। उसे भी बैरंग लौटा दिया गया। इसके बाद  मोहाली, पटियाला,  खन्ना व जगराओं (लुधियाना देहाती) के तत्कालीन एसएसपी को पत्र लिखकर निरंजन ने जानकारी मांगी। कोई जानकारी नहीं उपलब्ध करवाने के बाद डीजीपी दिनकर गुप्ता को भी पत्र लिख कर एफआईआर की कापी व उस समय तक पुलिस द्वारा की गई जांच की जानकारी मांगी थी। पुलिस ने चालान कोर्ट में पेश करने के बाद जवाब दिया कि संबंधित जानकारी ईडी कोर्ट से ले सकती है।

अवैध शराब फैक्ट्रियों को ईएनए किसने की सप्लाई

पूरे मामले में सबसे अहम सवाल यह है कि पंजाब में अवैध रूप से शराब बनाने बनाने वाली फैक्ट्रियों को ईएनए (एक्स्ट्रा नेचुरल एल्कोहल) की आपूर्ति कहां से किसने की। नियमानुसार ईएनए की सप्लाई शराब बनाने वाली डिस्टलरियों को ही की जाती है। उसके अलावा किसी शराब के लिए ईएनए की सप्लाई किसी और क्षेत्र में सरकारी तौर पर प्रतिबंधित है। बीते दिनों घनौर व तरनतारन सहित अवैध रूप से शराब का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों को ईएनए कहां से किसने सप्लाई की। जांच होती तो कई बड़े नाम व डिस्टलरी भी सवालों के घेरे में खड़ी होती।

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क्यों उठ रहे हैं ईडी के फैसले पर सवाल

-अगर जांच दिल्ली की टीम से करवानी थी को मामला भी वहीं दर्ज होना चाहिए था।

-यह देश में पहला मामला है जब ईडी ने शराब के मामले की जांच को लेकर मामला दर्ज किया है।

-पंजाब ईडी टीम द्वारा जांच शुरू किए जाने से पहले ही जांच दिल्ली ट्रांसफर क्यों कर दी गई।

-मारे गए 125 लोगों के परिजनों के बयान दिल्ली की बजाय पंजाब में लेना आसान होता।

-सबूत पंजाब में हैं। क्राइम सीन पंजाब में है। आरोपित पंजाब में हैं।

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ईडी ने अदालत में खुद माना है कि निरंजन सबसे योग्य अधिकारी

ईडी ने एक मामले की जांच को लेकर अदालत में खुद शपथ पत्र देकर यह स्वीकार किया है कि निरंजन सिंह विभाग के सबसे योग्य जांच अधिकारियों में हैं। उनका ट्रैक रिकार्ड शानदार है। उन्हें शानदार सर्विस के लिए विभाग की तरफ से सम्मानित भी किया जा चुका है। इसके बाद भी शराब कांड की जांच निरंजन के अधिकार क्षेत्र से वापस लेकर दिल्ली की टीम के हवाले करने के बाद खुद को ईडी ने सवालों के कटघरे में खड़ा कर लिया है।

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