...जब अमृतसर में रिजोर्ट मालिक ग्राहक से बोले- कार्ड पर फंक्शन की जगह रैली लिखवा लें... नहीं फैलेगा कोरोना

सरकार की ओर से जारी कोविड गाइडलाइन के बाद रिजोर्ट एवं मैरिज पैलेस के मालिक खासे परेशान हैं। खुली जगह होने के बावजूद प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक अगर वह कोई कार्यक्रम करते हैं तो मुनाफा तो दूर खर्च तक निकालना मुश्किल हो रहा है।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 03:24 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 03:24 PM (IST)
...जब अमृतसर में रिजोर्ट मालिक ग्राहक से बोले- कार्ड पर फंक्शन की जगह रैली लिखवा लें... नहीं फैलेगा कोरोना
सरकार की ओर से जारी कोविड गाइडलाइन के बाद रिजोर्ट एवं मैरिज पैलेस के मालिक खासे परेशान हैं।

अमृतसर, विपिन कुमार राणा। सरकार की ओर से जारी कोविड गाइडलाइन के बाद रिजोर्ट एवं मैरिज पैलेस के मालिक खासे परेशान हैं। खुली जगह होने के बावजूद प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक अगर वह कोई कार्यक्रम करते हैं तो मुनाफा तो दूर खर्च तक निकालना मुश्किल हो रहा है। रिजोर्ट मालिक एकजुट हुए और उन्होंने प्रशासन के दोहरे मापदंड को लेकर दुहाई देते हुए कटाक्ष किया।

बोले, वह फंक्शन के लिए बुकिंग करवाने के लिए आने वालों से आग्रह करेंगे कि वह अपने कार्ड पर फंक्शन की जगह रैली लिखवाएं, क्योंकि रैली से कोरोना भी डरता है और प्रशासन भी। रैली में कोई कोविड गाइडलाइन को चेक करने नहीं जाता। यह सुनकर सभी हंस पड़े और बोले, बात तो सही है। तभी तो धरने, प्रदर्शन और रैलियों में भी भीड़ के बावजूद प्रशासन दखल नहीं देता। अगर उनके यहां फंक्शन में थोड़ी नियमों की अनदेखी हो जाए तो इतना हो-हल्ला क्यों होता है।

सिद्धू साहब दर्शन तो दो

सियासी गलियारों में चाहे पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू चर्चा का विषय बने हुए हैं, पर उनका अपना ही विधानसभा हलका उनकी उपेक्षा से त्रस्त है। यूं तो नवजोत सिद्धू जब भी आनलाइन या आफलाइन मुखातिब होते हैं तो पंजाब की चिंता की बात करते हैं, पर आजकल उनके अपने ही हलके में इसको लेकर उन पर तंज कसे जा रहे हैं। लोग बेबाकी से कह रहे हैं कि पंजाब की चिंता तो ठीक है, पर नवजोत सिद्धू उनकी भी चिंता करें।

झगड़ा आपका कांग्रेस हाईकमान और मुख्यमंत्री के साथ है, पर पौने दो साल से लोगों को दर्शन नहीं हो रहे। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्होंने वोट डालकर उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है। सरकार अगर उन्हें भाव नहीं दे रही तो इसमें उन लोगों का क्या कसूर? कम से कम वह लोगों के लिए तो उपलब्ध रहें ताकि उनके रुके हुए काम हो सकें।

अफसरों के गले की फांस बने

नगर निगम में कुछ पार्षद पति व प्रतिनिधि अफसरों के गले की फांस बने हुए हैं। उनकी धौंसबाजी आए दिन नगर निगम के गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है। पिछले दिनों तो एक पार्षद पति की वजह से कुछ अफसरों की सीटों तक में फेरबदल कर दिया गया। अब एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें पार्षद पति अधिकारियों को घेराव करने की धमकी दे रहा था।

इससे अफसर तो डरे हुए हैं और उन्हें मिली इस पावर के लिए उन नेताओं व अधिकारियों को भी कोस रहे हैं, जिन्होंने बिना वजह न कुछ होते हुए भी इन्हें इतनी अहमियत दी है। वैसे तो खुद वरिष्ठ पार्षद भी कई बार गिला कर चुके हैं कि वह तो खुद पार्षद हैं, पर कुछ एक पार्षद पतियों की कारगुजारी की वजह से उन्हें बातें सुननी पड़ रही हैं। पार्षद पति के प्रति उनमें खासी नाराजगी व्याप्त है।

मलाईदार सीटों के लिए तिकड़म

साल 2020-21 के निर्धारित टारगेट में फिसड्डी रहे प्रापर्टी टैक्स विभाग के अधिकारियों पर गाज गिरनी लगभग तय है। 150 अधिकारियों और मुलाजिमों की लंबी-चौड़ी फौज के बावजूद विभाग अपने टारगेट का आधा भी हासिल नहीं कर पाया है। विडंबना तो यह रही कि पहले के मुकाबले टैक्स देने वाले यूनिटों की संख्या इस बार घटी नहीं हैं, इसके बावजूद टैक्स बढ़ने के बजाय घट गया। यह किसी की समझ में नहीं आ रहा।

अब कम रिकवरी करने वालों को डर सताने लगा है कि किसी भी समय उन्हें सीटों से बदला जा सकता है। शायद यही वजह है कि उन्होंने अपने लिए अभी से मलाईदार सीटों के लिए तिकड़म लड़ाना शुरू कर दिया है और वे अपने आकाओं की शरण में चले गए हैं। अब किसको कौन सी सीट मिलती है, यह तो उनका जुगाड़ ही तय करेगा। फिलहाल नगर निगम गलियारा इन चर्चाओं से खूब गर्माया हुआ है।

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