कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाले पंजाब के प्रेम सिंह को पद्मश्री पुरस्कार, दादा से किए वादे ने बदला पूरा जीवन

प्रेम सिंह ने कुष्ठ रोगियों की सेवा में पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। न कभी कोई ग्रांट सरकार से ली न ही कभी ऐसा सोचा। उलटा अपने ग्रैचुटी प्रोविडेंट फंड के करीब 25 लाख रुपये भी कुष्ठ रोगियों के कल्याण में खर्च कर दिए।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 26 Jan 2022 11:27 AM (IST) Updated:Wed, 26 Jan 2022 11:27 AM (IST)
कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाले पंजाब के प्रेम सिंह को पद्मश्री पुरस्कार, दादा से किए वादे ने बदला पूरा जीवन
प्रेम सिंह कुष्ठ रोगियों के सामूहिक रूप से पुनर्वास के लिए काम कर रहे हैं।

अजय अग्निहोत्री, रूपनगर। बहरामपुर जमींदारी के रहने वाले प्रेम सिंह ने कुष्ठ रोग से ग्रसित लोगों के उपचार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। उन्होंने न कभी कोई ग्रांट सरकार से ली न ही कभी ऐसा सोचा। उलटा अपने ग्रैचुटी प्रोविडेंट फंड के करीब 25 लाख रुपये भी कुष्ठ रोगियों के कल्याण में खर्च कर दिए। पत्नी के गहने तक समाजसेवा के लिए बेच दिए। प्रेम सिंह को दादा ने प्राण त्यागते समय कसम दी थी कि जरूरतमंद और बीमारों की मदद के लिए हमेशा समर्पण भाव रखें। इसने उनका पूरा जीवन ही बदल डाला। अपने दादा से किए वादे को पूरा करने के लिए आराम करने की उम्र में भी प्रेम सिंह समाजसेवा में जुटे हैं। यही देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रेम सिंह को पदमश्री अवार्ड के लिए चुना है।

71 वर्षीय प्रेम सिंह कुष्ठ रोगियों के सामूहिक रूप से पुनर्वास के लिए काम कर रहे हैं। इस कार्य में वो तीस सालों से जुटे हैं। लेप्रोसी वेलफेयर मिशन के फाउंडर के तौर पर काम कर रहे प्रेम कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए जी जान से लगे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से आने वाली लेबर में शामिल लोग कु्ष्ठ रोग के अधिक शिकार होते हैं। जागरुकता के अभाव में ये बीमारी छूत के रोग के रूप में फैलती गई। बीमारी और इसके इलाज को लेकर जागरुकता की कमी की वजह से इसका फैलाव हुआ।

प्रेम सिंह बताते हैं कि वो इंडियन आडिट एंड अकाउंट्स विभाग से आडिट आफिसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। हालांकि उससे पहले ही वह इस नेक काम में जुड़े हुए हैं। नौकरी के दौरान समय-समय पर ड्यूटी से छुट्टी लेकर वह कुष्ठ रोगियों के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने अब तक तीन सौ बत्तीस पंजाबियों को कुष्ठ रोग से निजात दिलाने के लिए काम किया। इस काम में प्रेम सिंह के बेटे जतिंदर सिंह और बेटी तेजिंदर कौर पूरा साथ देते हैं।

प्रेम सिंह बताते हैं कि पंजाब में उन्नतीस कुष्ठ आश्रम हैं। जहां कुष्ठ रोगियों को जरूरत है वो उनकी सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं। साल 2004 में अंबाला में चुनावों के समय कुष्ठ रोगियों को मतदान से मना करते हुए बाहर निकालने के मामला उठाया था। तब चुनाव आयोग ने मामले को सकारात्मक तरीके से लेते हुए नोटिस लिया था।

वर्ष 2019 में मिला नेशनल अवार्ड फार सीनियर सिटीजन अवार्ड

प्रेम सिंह को 2019 में नेशनल अवार्ड फार सीनियर सिटीजन अवार्ड मिल चुका है। ये अवार्ड कुष्ठ रोगियों की सहायता के लिए बिना डरे काम करने के लिए दिया गया। इससे पहले 2001 में पंंजाब सरकार की तरफ से स्टेट अवार्ड कुष्ठ रोगियों की भलाई के लिए मिला था। 2002 में नेशनल अवार्ड दिव्यांग व्यक्तियों (कुष्ठ रोगी वर्ग) के लिए काम करने के लिए भी उन्हें मिल चुका है। 

chat bot
आपका साथी