पंजाब की चप्पल इंडस्ट्री मुश्किल में घिरी, जानिए क्यों सिर्फ छह घंटे चल रहा काम

पंजाब में चप्पल इंडस्ट्री का कारोबार तीस प्रतिशत ही रह गया है। पहले जहां कोरोना वायरस के कारण कारोबार प्रभावित था तो वहीं अब कच्चा माल महंगा होने से इंडस्ट्री को झटका लगा है। कच्चा माल साउथ कोरिया चीन व दूसरे राज्यों से आता है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 12:32 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 12:32 PM (IST)
पंजाब की चप्पल इंडस्ट्री मुश्किल में घिरी, जानिए क्यों सिर्फ छह घंटे चल रहा काम
कच्चा माल महंगा होने से चप्पल इंडस्ट्री की कमर टूट गई है।

जालंधर, [कमल किशोर]। राज्य की चप्पल इंडस्ट्री के कारोबार को दोगुनी मार पड़ रही है। पहले सरकार ने उद्योगों को आइएसआइ सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया। वहीं दूसरी तरफ चप्पल उत्पाद में प्रयोग होने वाले कच्चा माल दस से पन्द्रह प्रतिशत महंगा हो गया है। इंडस्ट्री का कारोबार तीस प्रतिशत रह गया है। इंडस्ट्री के पास आर्डर नहीं है। अगर कुच्छेक आर्डर हैं तो उत्पाद को महंगा नहीं कर सकते। खरीददार महंगा उत्पाद की खरीददारी नहीं करेगा।

आर्डर न होने की वजह से छह घंटे इंडस्ट्री को चलाया जा रहा है। पहले चप्पल इंडस्ट्री के कारोबार को कोरोना ने प्रभावित कर रखा है। अब कच्चा माल महंगा होने से इंडस्ट्री की कमर टूट गई है।  कच्चा माल साउथ कोरिया, चीन व दूसरे राज्यों से आता है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि कारोबार को पटरी पर लाने के लिए कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए थी।

इंडस्ट्री करती है प्रतिवर्ष 450 करोड़ का कारोबार

राज्य में 150 चप्पल इंडस्ट्री है। प्रतिवर्ष 450 करोड़ का कारोबार करती है। जालंधर से तैयार चप्पल उतर प्रदेश, महाराष्ट्र, छतीसगढ़, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में सप्लाई की जा रही है। इंडस्ट्री ने 9000 श्रमिक काम करते हैं।

नीरज अरोड़ा, प्रधान, रबड़ फुटवियर मैनूफैक्चर्स एसोसिएशन।

रबड़ फुटवियर मैनूफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रधान नीरज अरोड़ा ने कहा कि कच्चा माल महंगा होने की वजह से इंडस्ट्री का कारोबार तीस प्रतिशत रह गया है। कच्चा माल दस से पन्द्रह प्रतिशत महंगा होने से इंडस्ट्री के पास आर्डर नहीं है। आर्डर मिलते हैं तो चप्पल उत्पाद पांच प्रतिशत महंगा हो जाएगा। ग्राहक खरीदने में रूचि नही दिखाएगा।

कपिल पुंछी, महासचिव, रबड़ फुटवियर मैनूफैक्चर्स एसोसिएशन।

एसोसिएशन के महासचिव कपिल पुंछी ने कहा कि पहले ही सरकार ने इंडस्ट्री को आइएसआइ सर्टिफिकेट लेने का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। अब कच्चा माल महंगा होने से इंडस्ट्री का सरवाइव करना मुश्किल हो गया है। आर्डर न होने की वजह में दिन में सिर्फ छह घंटे इंडस्ट्री चलाई जा रही है।

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